इंदौर। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शराब दुकानों के अहाते बंद कराने की घोषणा कर भूल गए हैं, लेकिन घोषणा के बाद उनके मातहतों को इसका पालन कराना था। इंदौर में तो हालात यह है कि हर अहाते के बाहर और बाजू में पियक्कड़ों की भीड़ जमा होती है, जिस कारण जाम तो लगता ही है, वहीं महिलाएं वहां से निकलने में झिझकने लगी हैं।
इंदौर में किसी भी शराब दुकान पर चले जाओ, वहां नमकीन और नॉनवेज की अवैध दुकानें बाहर मिल जाएंगी। ये दुकानें इसलिए कि पियक्कड़ भी यहीं खड़े होकर शराब पीते हैं और यहीं से खानपान का सामान खरीदते हंै। मालवा मिल चौराहे की शराब दुकान देखो तो पियक्कड़ों ने यहां हद कर रखी है। जिस जगह बालीनाथ महाराज की सेल्फी के लिए जगह बनाई गई है, वहीं पीछे छिपकर यहां हमेशा शराबियों की भीड़ देखी जा सकती है। यही हाल परदेशीपुरा चौराहे के पास बनी शराब दुकानों के हैं। दरअसल शराब दुकान के ठेकेदारों ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि वहां बड़े-बड़े लोहे के चद्दर लगा दिए हैं, ताकि पीने वाले सडक़ से नहीं दिखाई दे सके, लेकिन कई लोग अपने वाहनों में बैठकर और बाहर सडक़ों पर अपने दोपहिया वाहन खड़े कर शराब पीते दिखाई देते हैं।
शराबियों को न छेडऩा भी पुलिस और आबकारी विभाग की कमाई का एक बड़ा जरिया बन गया है। शहर में शायद ही ऐसी कोई दुकान होगी, जहां शराबी बाहर खड़े रहकर शराब पीते न दिखे हों, लेकिन अभी तक स्थानीय पुलिस और न ही आबकारी विभाग ने इस मामले में कोई कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री ने अपने पहले आदेश में प्रदेश के धार्मिक स्थलों से ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाकर तथा मांस की दुकानों को ढंकने के मामले में खूब वाहवाही बंटोरी थी, लेकिन शराब दुकानों का आदेश जारी कर वे इसे भूल गए हैं। कल जिस तरह से लाउडस्पीकरों के मामले में कार्रवाई हुई है, ऐसी ही कार्रवाई शराब दुकानों के बाहर होना चाहिए, ताकि लगे कि यहां सरकार के निर्देशों का पालन किया जा रहा है।
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