इंदौर। पीपीपी मॉडल पर इंदौर के साथ-साथ भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम का ठेका भी दिया जाना है, जिसके लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी टेंडर जमा किया है और फिलहाल वह इकलौती ही ये ठेका लेने की इच्छुक बैंक मैदान में है। दूसरी तरफ टैक्समाको रेल एंड इंजीनियरिंग कम्पनी को 33.53 किलोमीटर के पहले चरण की लाइन बिछाने का काम भी मिला है। 252.88 करोड़ के इस ठेके के साथ ही ट्रैक टर्न आउट का काम भी वोस्लोह कॉन्गिफर नामक कम्पनी को 36.78 करोड़ में दिया गया है। इस तरह अभी पिछले दिनों 290 करोड़ के ट्रैक और टर्नआउट सहित अन्य टेंडर भी मिल गए हैं।
इंदौर मेट्रो का काम इन दिनों सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 से लेकर रोबोट चौराहा तक चल रहा है। पिलरों पर सेगमेंट लगाने के काम के बाद पटरी बिछाने की शुरुआत होगी। पिछले दिनों मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने बचे हुए कार्यों के लिए भी टेंडर प्रक्रिया शुरू की और कलकत्ता की टैक्समेको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 252.88 करोड़ का टेंडर दिया है। जबकि लॉर्सन एंड ट्रूबो ने 262.32 करोड़ का टेंडर भरा था। वहीं रेल विकास निगम और विजय निर्माण कम्पनी इस टेंडर से डिस्क्वालिफाइड कर दी गई। 33.53 किलोमीटर की पहले चरण की जो यलो लाइन बिछाई जाना है उसका काम टैक्समेको रेल एंड इंजीनियरिंग द्वारा किया जाएगा, जिसमें 24.06 किलोमीटर के कॉरिडोर का काम अभी चल रहा है, जिसमें इंदौर एयरपोर्ट से भौंरासला और वहां से एमआर-10, विजय नगर, रेडिसन चौराहा होते हुए रोबोट चौराहा और वहां से फिर पलासिया से रेलवे स्टेशन तक का काम होना है।
जबकि 7.48 किलोमीटर का हिस्सा जो कि रेलवे स्टेशन से एमजी रोड होते हुए राजवाड़ा और बड़ा गणपति और वहां से इंदौर एयरपोर्ट तक का है, वह अंडरग्राउंड रखा गया है, जिसको लेकर अभी गतिरोध जारी है। दूसरी तरफ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम के लिए टेंडर जमा किया है। इंदौर के साथ-साथ भोपाल के लिए भी एसबीआई इकलौती बैंक है, जिसने यह टेंडर भरा है। मेट्रो रेल कार्पोरेशन पीपीपी मॉडल पर इसका ठेका देगा, जिसमें इंस्टॉलेशन, टेस्टिंग, कम्यूनिकेशन के साथ टिकिटिंग सिस्टम की पूरी व्यवस्था ठेकेदार फर्म को ही करनी होगी। अगर कॉर्पोरेशन एसबीआई के टेंडर को नामंजूर करता है तो उसे फिर से रीटेंडर की प्रक्रिया अपनाना पड़ेगी।
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