नई दिल्ली. भारतवंशी (Indian Origin) अमेरिकी एस्ट्रोनॉट (American Astronaut) सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और बुच विलमोर (Butch Wilmore) को स्पेस स्टेशन पर अटका कर बोईंग का स्टारलाइनर (Starliner) आखिरकार तीन महीने बाद धरती पर लौट आया. 7 सितंबर की सुबह 9.31 बजे न्यू मेक्सिको के व्हाइट सैंड्स स्पेस हार्बर में उतरा.
स्टारलाइनर ने करीब 8.58 पर अपने डीऑर्बिट बर्न को पूरा किया. इस बर्न के बाद करीब 44 मिनट लगे उसे जमीन पर उतरने में. लैंडिंग के समय वायुमंडल में इसका हीटशील्ड एक्टिव था. इसके बाद ड्रोग पैराशूट डिप्लॉय किया गया. यानी दो छोटे पैराशूट. इसके बाद तीन में मुख्य पैराशूट तैनात किए गए.
इसके बाद फिर रोटेशन हैंडल रिलीज किया जाता है. ताकि स्पेसक्राफ्ट गोल घूमना बंद कर दे. सीधे एक ही स्थिति में लैंड करे. नीचे की तरफ लगा हीटशील्ड निकाल दिया जाता है. इसके बाद एयरबैग फूलते हैं. फिर एयरबैग कुशंड लैंडिंग होती है. तब रिकवरी टीम आकर स्पेसक्राफ्ट को रिकवर करती है.
लैंडिंग के बाद रिकवरी और उसके बाद जांच-पड़ताल होगी
स्टारलाइनर की लैंडिंग के बाद नासा और बोईंग की टीम इसे वापस असेंबली यूनिट में लेकर जाएगी. वहां पर उसकी जांच की जाएगी. ये पता किया जाएगा कि आखिर किस वजह से हीलियम लीक हुआ. किस वजह से प्रोपल्शन सिस्टम में दिक्कत आई. क्यों इस स्पेसक्राफ्ट ने डॉकिंग में सुनीता और बुच को दिक्कत दी थी.
LIVE: The uncrewed @BoeingSpace #Starliner spacecraft continues its return to Earth. Landing is targeted for 12:00am ET on Sept. 7. https://t.co/jjqCiNuHhG
— NASA's Johnson Space Center (@NASA_Johnson) September 7, 2024
नासा ने अक्तूबर 2011 में बोईंग को स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए हरी झंडी दी. स्टारलाइनर बनते-बनते छह साल लग गए. 2017 में बना. 2019 तक उसके परीक्षण उड़ान होते रहे. लेकिन इन उड़ानों में कोई इंसान शामिल नहीं था. ये मानवरहित उड़ानें थीं.
ऐसी थी स्टारलाइनर के बनने की पूरी कहानी
पहली मानवरहित ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट 20 दिसंबर 2019 को हुई. इस उड़ान में कोई इंसान नहीं था. लेकिन दो सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी की वजह से यह दूसरे ऑर्बिट में पहुंच गया. स्पेस स्टेशन से डॉकिंग हो नहीं पाई. दो दिन बाद न्यू मेक्सिको के व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज में वापस लैंड हुआ.
हर उड़ान में इसे दिक्कत आती रही…
दूसरी मानवरहित उड़ान 6 अप्रैल 2020 को हुई. स्पेस स्टेशन तक जाना था. डॉकिंग करनी थी. इसके बाद वापस आना था. लेकिन लॉन्चिंग थोड़ी टालनी पड़ी. अगस्त 2021 में लॉन्चिंग करने की तैयारी हुई. लेकिन फिर स्पेसक्राफ्ट के 13 प्रोप्लशन वॉल्व में कुछ कमियां पाई गईं. इसके बाद बोईंग ने पूरे स्पेसक्राफ्ट को फिर से बनाया.
मई 2022 में ट्रायल उड़ान की तैयारी की गई. 19 मई 2022 को स्टारलाइनर ने फिर उड़ान भरी. इस बार उसमें दो डमी एस्ट्रोनॉट्स बिठाए गए. लेकिन ऑर्बिटल मैन्यूवरिंग और एटीट्यूड कंट्रोल सिस्टम थ्रस्टर्स फेल हो गए. किसी तरह 22 मई 2022 को स्टारलाइनर को स्पेस स्टेशन से जोड़ा गया.
25 मई 2022 को स्टारलाइनर स्पेस स्टेशन से वापस धरती पर आया. रीएंट्री के समय स्पेसक्राफ्ट से नेविगेशन सिस्टम खराब हुआ. कम्यूनिकेशन गड़बड़ा गया. साथ ही जीपीएस सैटेलाइट से कनेक्शन टूटा. लेकिन बोईंग ने कहा ये सामान्य है.
सुनीता वाली तीसरी उड़ान भी थी खतरनाक
तीसरी मानवयुक्त उड़ान साल 2017 में तय की गई थी. लेकिन कई वजहों से देरी होते-होते यह जुलाई 2023 तक आ गई. 1 जून 2023 को बोईंग ने कहा कि हम इस उड़ान को टाल रहे हैं. 7 अगस्त 2023 को कंपनी ने कहा कि स्पेसक्राफ्ट की सारी दिक्कतें खत्म हो चुकी हैं. अगली उड़ान 6 मई 2024 को तय की गई. यानी इस साल.
लेकिन फिर यह लॉन्चिंग टाली गई. क्योंकि एटलस रॉकेट में ऑक्सीजन वॉल्व में कुछ दिक्कत आ रही थी. इसके बाद स्पेसक्राफ्ट में हीलियम लीक होने की वजह से लॉन्चिंग टाली गई. आखिरकार 5 जून को सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विलमोर इस स्पेसक्राफ्ट को लेकर अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए. 8 दिन बाद 13 जून को इन्हें वापस आना था लेकिन अब तक स्पेस स्टेशन पर ही फंसे हुए हैं.
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