भोपाल। मप्र में अचानक बारिश थम गई है। खासकर प्रदेश के 13 जिलों में सूखे की स्थिति बन रही है। इन जिलों में सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलें मुरझाने लगी हैं। इससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। अमूमन बरसात के सीजन में प्रदेश में जुलाई और अगस्त माह में सर्वाधिक वर्षा होती है। इस वर्ष जुलाई का एक पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अपेक्षाकृत बारिश नहीं हुई है। हालात यह है कि 13 जिलों में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहां अभी तक सामान्य से कम बरसात हुई है। इससे किसान काफी चिंतित होने लगे हैं। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कोई प्रभावी सिस्टम नहीं होने से वर्तमान में अच्छी बरसात की उम्मीद कम ही है। मौसम विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में मानसून द्रोणिका मुरैना से होकर गुजर रही है।
सौराष्ट्र-कच्छ पर एक ऊपरी हवा का चक्रवात बना हुआ है। इस सिस्टम से होकर उत्तरी राजस्थान तक एक द्रोणिका लाइन बनी हुई है। साथ ही मध्य प्रदेश के पास ही पूर्वी-पश्चिमी हवाओं का टकराव भी है। इस वजह से कुछ नमी तो आ रही है, लेकिन लगातार बरसात होने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने बताया कि इस बार बरसात के सीजन में अभी तक अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में कोई भी कम दबाव का क्षेत्र नहीं बना है। इस वजह से अभी तक लगातार बरसात की स्थिति नहीं बनी है। 24 जुलाई के बाद कम दबावका क्षेत्र बना तो अच्छी वर्षा मौसम विभाग के अनुसार 24 जुलाई के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक ऊपरी हवा का चक्रवात बनने के संकेत मिले है।
यदि चक्रवात कम दबाव के क्षेत्र में सक्रिय होकर आगे बढ़ता है, तो प्रदेश में अच्छी बारिश की उम्मीद की जा सकती है। गौरतलब है कि शनिवार को सुबह साढ़े आठ बजे तक प्रदेश में औसत 312.8 मिमी बरसात हुई है, यह सामान्य (289.8 मिमी) से महज आठ फीसद अधिक है।
इन जिलों में कम वर्षा
बालाघाट, छतरपुर, दमोह, जबलपुर, कटनी, सागर, टीकमगढ़, आलीराजपुर, भिंड, ग्वालियर, मंदसौर, श्योपुर, शिवपुरी में सामान्य से कम बरसात हुई है। इससे खरीफ की फसल पर संकट के बादल मंडराने लगे है। किसान काफी चिंतित है।
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