नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि श्रीलंकाई दोषी की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर पुनर्विचार किया जाए, जो लगभग 35 साल कैद में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता रिहा होने के बाद श्रीलंका वापस जाना चाहता है. उसने निर्देश दिया कि उसे एक उपयुक्त ट्रांजिट कैंप में स्थानांतरित किया जाएगा, जोकि राज्य की ओर से तय किया जा सकता है.
जस्टिस एएस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष यह कहा गया है कि राज्य सरकार ने शिविर स्थापित किए हैं, जहां भारत में तय समय से अधिक समय तक रहने वाले और शरणार्थियों को रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को वहां स्थानांतरित किया जा सकता है. शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता राजन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
इस याचिका में समय से पहले उसकी रिहाई के अनुरोध को खारिज करने के राज्य के 12 फरवरी, 2021 के आदेश को चुनौती दी गई थी. बेंच ने आदेश में कहा हम तमिलनाडु राज्य को निर्देश देते हैं कि आज से अधिकतम तीन सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर पुनर्विचार किया जाए. यह देखा गया कि याचिकाकर्ता को दोषी ठहराया गया है, आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और लगभग 35 साल कैद की सजा काट चुका है.
‘श्रीलंकाई दोषी का आचरण संतोषजनक रहा’
बेंच ने कहा कि समय से पहले रिहाई के लिए याचिकाकर्ता की मांग पर राज्य द्वारा दो आधारों पर विचार किया गया और खारिज कर दिया गया. उसके द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता और सह-आरोपी के मुकदमे को अलग कर दिया गया. पिछले साल मार्च के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में राज्य द्वारा दायर एक हलफनामे का जिक्र है, जिसमें कहा गया था कि जेल में याचिकाकर्ता का आचरण संतोषजनक रहा है.
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