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    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, नहीं मिला स्टे, 4 नवंबर को अगली सुनवाई

  • September 17, 2024

    मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Sri Krishna Janmabhoomi) ईदगाह (Shahi Idgah) प्रकरण में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाईकोर्ट (High Court) के आदेश पर कोई स्टे नहीं दिया। मुस्लिम पक्ष (Muslim side) हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में गया था। सुप्रीम कोर्ट में अब इस पर चार नवंबर को सुनवाई होगी। कहा है कि रिट का परीक्षण किया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यह रिट इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच में पहले होनी चाहिए थी। इसका भी परीक्षण होगा।


    एक अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह विवाद को सुनवाई योग्य माना था। कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन के स्वामित्व को लेकर हिंदू पक्षकारों की ओर से दाखिल सभी 15 सिविल वादों को सुनने योग्य मानते हुए मुस्लिम पक्ष की पांचों आपत्तियां खारिज कर दीं। ईदगाह कमेटी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

    अपील दाखिल कर कहा गया है कि हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष के दावों को जो सुनवाई योग्य माना है वह गलत है। मुस्लिम पक्ष के इस प्रार्थना पत्र पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तय की गई थी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह एवं पक्षकार आशुतोष पाण्डेय के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार को कोई स्टे नहीं दिया। कहा है कि इस परीक्षण होगा और चार नवंबर अगली तारीख तय कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट संख्या2 में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार इस मामले को सुना।

    हिंदू पक्षकारों की दलीलें
    ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है, वह हिस्सा भी जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद है।
    शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है।
    श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है।
    बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।

    मुस्लिम पक्ष की दलील
    जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य नहीं है। उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।

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