नई दिल्ली: देश के राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. एक तरफ जहां बीजेपी पिछली बार हारी हुई सीटों पर भी जीत का खाका खींच रही है. साथ ही अपने एनडीए का कुनबा भी बढ़ाने पर काम कर रही है. वहीं कांग्रेस, राजद, जदयू और सपा समेत अन्य विपक्षी दल भी चुनावी लड़ाई के लिए एकजुट होने का दावा कर रहे हैं. इस बीच पटना की बैठक के बाद बेंगलुरु की बैठक अहम मानी जा रही है.
चर्चा है कि इस बैठक में गठबधंन का नाम के साथ-साथ उसके संयोजक और अन्य पदों पर विपक्षी नेताओं को जिम्मेदारी दी जा सकती है. ऐसे में यूपी के महत्व और उसकी सियासत को देखते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है. जून में पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी. इस पहली बैठक का आयोजन जदयू-राजद गठबंधन ने किया था. वहीं दूसरी बैठक की मेजबानी कांग्रेस कर रही है. पहले यह बैठक 11-12 जुलाई को शिमला में होनी थी.
इसी बीच महाराष्ट्र में एनसीपी में टूट हो गई. तमाम राजनीतिक चर्चाएं जोर पकड़ने लगी, क्योंकि विपक्षी दलों में एकजुटता के लिए एनसीपी और उसके नेता शरद पवार की भी अहम भूमिका थी. वहीं सियासी हालातों को देखते हुए विपक्षी दलों की दूसरी बड़ी बैठक 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होना तय हुई है. इसी में ही सपा का भी राष्ट्रीय स्तर पर कद क्या है, यह अखिलेश को मिलने वाली जिम्मेदारी से ही तय हो जाएगा. साथ ही 2024 के चुनाव में सपा-कांग्रेस के गठबंधन की कुछ तस्वीर भी साफ होते दिखेगी.
संगठन को मजबूत करने में जुटी सपा
लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर सपा अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई है. इसमें वह सभी मोर्चों के कार्यकारिणी को घोषित करने पर काम कर रही है. पिछले एक महीने में ज्यादातर मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी घोषित कर दिए गए हैं. इन मोर्चों की प्रदेश कमेटी भी बन गयी है. अब जिला स्तर पर मोर्चा को दुरुस्त किया जा रहा है. वहीं सपा प्रदेश कमेटी की कार्यकारिणी भी जल्द घोषित होने की उम्मीद है.
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