• img-fluid

    आध्यात्मिक मार्गदर्शक ॐ ब्रम्ह चैतन्य उदयनाथ महाराज: एक प्रकाश स्तंभ

  • June 14, 2024


    भारत (India) की आध्यात्मिक भूमि (Spiritual Land) पर कई प्रबुद्ध आत्माओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है, और इनमें से एक प्रतिष्ठित नाम है परमपूज्य ॐ ब्रम्ह चैतन्य उदयनाथ महाराज (Om Brahm Chaitanya Udayanath Maharaj)। 11 सितंबर 1979 को मुंबई (Mumbai) में जन्मे महाराज वर्तमान युग के एक युवा दृष्टा, सत्यदर्शी और जीवन सर्जक हैं। उनका जीवन धर्म, आध्यात्म और साधना में गहराई से निहित है, साथ ही दर्शन, राजनीति, समाजव्यवस्था और आधुनिक विज्ञान में उनकी अद्वितीय और व्यापक प्रज्ञा का प्रकाश भी बिखेरता है।


    बाल्यकाल से ही महाराज ने अद्वितीय बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक झुकाव का परिचय दिया। मात्र छह साल की उम्र में, उन्हें ध्यान की परिवर्तनकारी प्रक्रिया की प्रेरणा मिली। ग्यारह साल की उम्र में, उन्हें पहली बार ‘उन्मनी’ या ‘सतोरी’ की अवस्था प्राप्त हुई, जिसने उनके मन को सांसारिक विषयों से विमुख कर आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर किया।गुरुदत्त प्रभु के मार्गदर्शन में, महाराज ने हठ योग, मंत्रयोग और लययोग के विभिन्न रूपों में प्रवीण ताहासिल की और चौदह साल की उम्र तक गहरी ध्यान की अवस्था प्राप्त कर ली।

    उनका आत्मज्ञान का सफर पंद्रह साल की उम्र में चरम पर पहुँचा, जब 70 दिनों की कठोर ध्यान साधना के बाद, उन्हें  18 घंटे की संपूर्ण समाधि की अनुभूति हुई।इस महान जागरण ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया और मानवता को आत्मज्ञान की ओर मार्गदर्शन करने के उनके मिशन की शुरुआत की। उनकी आध्यात्मिक महत्ता को मान्यता देते हुए, अनुयायियों ने उन्हें  “ॐ ब्रम्ह चैतन्य उदयनाथ महाराज” की उपाधि से सम्मानित किया।

    महाराज ने अपनी वाणी और आचरण से अनगिनत लोगों को आत्मज्ञान और सच्चे धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने 6000 से अधिक प्रवचन, 200 ध्यान शिविर और 60 साधना सप्ताह आयोजित किए हैं, जिससे हजारों लोग योग और आध्यात्मिकता के मार्ग पर अग्रसर हुए हैं।

    5 जुलाई 1998 को, महाराज के धर्मकार्य को प्रसारित और प्रचारित करने के लिए महाराष्ट्र के विभिन्न गाँवों और शहरों के साधकों ने “योगेश्वरमहादेवफाउंडेशन” की स्थापना की।यह संस्था मुंबई से संपूर्ण महाराष्ट्र में आध्यात्मिक कार्य कर रही है और इसके आत्मसेवा अभियान का लाभ हजारों लोग उठा रहे हैं।

    गुरुदेव का मुख्य आश्रम ‘महायोगआश्रम’ महाराष्ट्र के सातारा जिले में पारगाँव खंडाला तहसील के असवली गाँव में स्थित है, जो पुणे-बेंगलुरु राष्ट्रीय महामार्ग पर पुणे से 68 किलोमीटर की दूरी परहै।रेलमार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए लोणंद नामक रेलवे स्टेशन आश्रम से 30 किलोमीटर की दूरी पर है।

    पुज्य महाराजजी का कहना है, “हर एक मानव के अंदर छुपे हुए चैतन्य को संपूर्ण रूप से विकसित करके उसे सबुद्ध मानव बनाना ही मेरा जीवन उद्देश्य है।” उनके मार्गदर्शन और साधना से निःसंदेह भविष्य में यह कार्य दुनिया के हर कोने तक पहुँचेगा। केवल 44 वर्ष की आयु में, महाराजजी के जीवन और कार्यों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो महान भारतीय संस्कृति ही मानव रूप धारण कर समाज के उद्धार का कार्य कर रही है।

     

    Share:

    नीलम सक्सेना चंद्रा – लेखन की दुनिया में एक और कदम

    Fri Jun 14 , 2024
    लोकप्रिय भारतीय कवी (popular indian poet) और लेखक (Author), नीलम सक्सेना चंद्रा (Neelam Saxena Chandra) ने अपने नए काव्य संग्रह “परिंदों सा लिबास” (parindon sa libaas) के प्रकाशन के साथ अपनी कीर्ति की दिशा में एक और कदम उठाया है| इनकी कवितायें यूँ भी कई भारतीय ही नहीं, विश्व में भी सुनी जाती हैं और […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved