नई दिल्ली। दुनिया में ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनके बारे में अधिकतर लोगों को पता भी नहीं होता, लेकिन वो होती बहुत ही जानलेवा हैं। जैसे कि- स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, (spinal muscular atrophy) जो कि एक आनुवंशिक बीमारी (genetic disease) है। यह बीमारी कई प्रकार की होती है, लेकिन इसमें टाइप-1 सबसे गंभीर होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों में लगभग 400 बच्चे इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। भारत में भी इसके कई मामले सामने आ चुके हैं।
बता दें कि यह बीमारी अमीर शख्स को कंगाल बना सकती है। ये बीमारी दुनिया के सबसे महंगे दवा से ठीक होती है. इस दवा की कीमत भारतीय करेंसी में करीब 18 करोड़ रुपए है।
आपको बता दें कि जिस बीमारी की हम बात कर रहे हैं उसे दुनिया की सबसे महंगी बीमारी कहते हैं। इसका नाम है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी. इस बीमारी में मरीज की बॉडी में मसल्स ग्रोथ के लिए जरुरी प्रोटीन की कमी हो जाती है। इससे मरीज ना तो खड़ा हो पाता है ना ही बैठ पाता है। वो चल-फिर नहीं पाता ना ही कोई काम कर पाता है। कुछ समय पहले तक इस बीमारी का इलाज नहीं था, लेकिन कुछ समय पहले इस बीमारी के लिए जोलगेज्मा ड्रग्स ईजाद हुआ। ये चीन की एक थेरेपी है ये काफी क्रांतिकारी इलाज है लेकिन काफी महंगा है।
इस बीमारी को यूं ही दुनिया की सबसे महंगी बीमारी नहीं कहते. इस बीमारी के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा की कीमत 1.79 पाउंड है यानी करीब 18 करोड़ रुपए। जोलगेज्मा ड्रग्स को इस बीमारी के इलाज के लिए काफी क्रांतिकारी माना जाता है. लेकिन ये इतना महंगा है कि हर कोई इसे अफोर्ड नहीं कर पाता. इस वजह से इस बीमारी से ग्रस्त ज्यादातर लोग सर्वाइव नहीं कर पाते, हालांकि, जब भारत में इस बीमारी से ग्रस्त एक बच्ची के इलाज के लिए मदद मांगी गई थी तो उसे सरकार से काफी हेल्प मिली थी. हालांकि, उसके बाद भी बच्ची नहीं बच पाई थी।
रीढ़ की हड्डी से है रिश्ता
इस बीमारी का अटैक रीढ़ की हड्डी पर होता है. ये सबसे पहले स्पाइनल कोर्ड पर हमला करता है.इस वजह से लोग चलने-फिरने से लाचार हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो जाती है। इंसान की बॉडी में कंपन होने लगती है और वो खास तक नहीं पाता है। इस बीमारी का सिर्फ एक ही इलाज है और वो भी काफी महंगा है।
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