नई दिल्ली (New Delhi)। लंबी सफेद दाढ़ी, मस्तक पर लाल टीका, तन पर सफेद कपड़ा, हाथ में कलावा पहनने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam) नेता कम धर्मगुरु ज्यादा दिखाई देते हैं. कांग्रेस से लंबा जुड़ाव है लेकिन पिछले दिनों अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ तो अपनी ही पार्टी के फैसलों पर सवाल उठाने लगे.
कांग्रेस को चुभने वाले उनके बयान सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों पर काफी चर्चा में रहे. कुछ घंटे पहले उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की एक तस्वीर शेयर की तो सोशल मीडिया पर ‘फेक न्यूज’ शेयर होने लगी कि कांग्रेस ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है. ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि आचार्य प्रमोद कौन हैं और कांग्रेस को उनकी एक तस्वीर क्यों चुभ रही होगी.
श्री राम जन्म भूमि मंदिर का “मनोरम”
दृश्य और दर्शन. #AyodhaRamMandir pic.twitter.com/rJkBAPJK7L— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) January 22, 2024
2019 के लोकसभा चुनाव में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने लखनऊ सीट पर कांग्रेस की तरफ से राजनाथ सिंह को चुनौती दी थी. हालांकि 1.78 लाख वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. इससे पहले 2014 में भी कांग्रेस ने उन्हें संभल से टिकट दिया था.
करीब 60 साल के आचार्य प्रमोद टीवी डिबेट में कांग्रेस का स्टैंड रखते रहे हैं लेकिन अयोध्या में राम मंदिर बना तो बोले नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं इसलिए मंदिर बन सका. उन्होंने मंदिर के कार्यक्रम से कांग्रेस नेताओं के दूरी बनाने का भी विरोध किया था. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन वह खुद अयोध्या गए थे.
ब्राह्मण परिवार में जन्मे आचार्य प्रमोद ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह भजन और शायरी भी लिखते हैं. धार्मिक कार्यक्रम और मुशायरे में बराबर उत्साह से भाग लेता हूं. वह कहते हैं कि मेरा धर्म शांति है और जो कोई भी इसे बाधित करने की कोशिश करता है, वह मेरा प्रतिद्वंद्वी है.
पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, यहां तक कि नोटबंदी की भी बात कर रहे हैं लेकिन पार्टी राम को भूल गई है. उन्होंने यह भी कहा था कि ‘मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर अधिक बात की और कम कार्रवाई की. वे एससी/एसटी (अधिनियम) और तीन तलाक पर अध्यादेश लाए लेकिन राम मंदिर को भूल गए. तब वह कहते थे कि जो राम का ना हुआ, वो देश का क्या होगा.
हालांकि जैसे ही अयोध्या में राम मंदिर बना आचार्य के सुर बदल गए. 2018 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उनका नाम ‘नकली धर्मगुरुओं’ की सूची में शामिल किया था. तब आचार्य ने दो टूक कहा था, ‘मुझे किसी संगठन के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा. अखाड़ा परिषद ने कहा था कि उन्हें समूह से बाहर कर दिया गया है क्योंकि वह ‘संत परंपरा’ का पालन नहीं करते हैं और न ही उन्होंने अपना घर- परिवार छोड़ा है, जो सभी सच्चे संत करते हैं.
दो बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके आचार्य प्रमोद के 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की तरफ झुकाव दिखाना पार्टी को असहज कर रहा है.
अयोध्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को कांग्रेस ने ‘भाजपा- संघ का इवेंट’ बताया था. हालांकि यह भी कहा था कि जो नेता चाहें वे जा सकते हैं. फिर भी आचार्य ने अयोध्या जाकर कांग्रेस नेताओं को ही घेरा.
यही नहीं, भजन करने वाले आचार्य टीवी चैनलों पर गाने लगे- ‘अयोध्या हमारी ना यूं संवरती, अगर तुम ना होते. अगर तुम ना होते. सच तो ये है कि सारा संघर्ष अपनी जगह है, सारी अदालतें अपनी जगह हैं लेकिन ये शुभ घड़ी न आती, अगर इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना होते.’
ऐसे समय में जब भाजपा राम लहर देख 2024 को लेकर आश्वस्त दिख रही है, किसी कांग्रेस नेता का इस तरह पीएम मोदी की तारीफ करना कांग्रेस को जरूर चुभ रहा होगा.
आचार्य ने पीएम को न्योता तो दिया ही, ट्वीट के शब्द भी शायद कांग्रेस को अखर रहे होंगे. हां, आचार्य ने PM के लिए लिखा, ‘श्री हरि विष्णु के ‘दशम’ और अंतिम अवतार भगवान श्री कल्कि नारायण की अवतरण स्थली संभल की पावन धरा पर आपका स्वागत है प्रभु’
आगे नीतीश कुमार ने I.N.D.I.A गठबंधन तोड़ा तो आचार्य अलायंस के घटक दलों को नसीहत देने लगे कि उन्हें आत्ममंथन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह जब से बना तब से गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गया. अब चर्चा हो रही है कि राम लहर से गदगद भाजपा कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम को 2024 लोकसभा चुनाव का टिकट भी दे सकती है. सोशल मीडिया पर ‘आचार्य प्रमोद’ ट्रेंड कर रहा है. इस बात की पूरी संभावना है कि पीएम मोदी 19 फरवरी को कल्कि धाम जा भी सकते हैं.
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