मुंबई। आज जो युवा हैं। उनके लिए वह रणवीर कपूर (Ranveer Kapoor) के दादा भले हों। जो बुजुर्ग हैं, वह उन्हें ऋषि कपूर के पिताजी के रूप में और कुछ लोग उन्हें महान अभिनेता पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor) के बेटे के रूप में भले ही याद कर लें, लेकिन सच यह है कि वह फिल्मी दुनिया के ‘कम्पलीट शोमैन’ थे। ‘कम्पलीट शोमैन’ का ये ताज उन्हें उनके जमाने के मशहूर अभिनेता देवानंद ने दिया था…और बरसों पहले कवि शैलेन्द्र ने उनकी फिल्म श्री420 के लिए जब यह गीत लिखा था-हम न रहेंगे तुम न रहोगे फिर भी रहेंगी निशानियां…’” तब किसे पता था कि ये पंक्तियां उनको एक नई सदी में लेकर जाएंगी। जी हां, हिन्दी सिनेमा का शोमैन कहे जाने वाले राज कपूर जिंदा होते तो 14 दिसंबर को अपनी उम्र के 100 साल पूरे कर चुके होते।
एक आग थी उनमें
24 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले राजकपूर की फिल्में और उनके तराने आज भी हर किसी को जिंदगी से रुबरु कराते हैं। फिल्म राम तेरी गंगा मैली के निर्देशन के साथ उन्होंने सुनहरे पर्दे से विदा भले ही ले ली हो, लेकिन उनकी फिल्मों भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में अभी भी उन्हें जिंदा रखे हुए हैं। 1985 में आखिरी फिल्म राम तेरी गंगा मैली सहित राज कपूर ने 10 फिल्मों का निर्देशन किया। उनके इसी योगदान को याद करने के लिए इस साल फिल्म जगत,प्रशंसक और परिवार उनकी 100वीं जयंती मना रहे हैं।
कला और दर्शन का संगम
समाजशास्त्री संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि समाजवाद अब व्यवहारिक नहीं माना जाता है, और उपभोक्तावाद की कीमत बढ़ गई है और 1990 के दशक से हिंदी फिल्में में यह दिखता है। बावजूद इसके राजकपूर की फिल्मों की प्रासंगिकता बनी हुई है। रूसी आज भी फिल्म आवारा के दिवाने हैं। राज कपूर की फिल्में कला और दर्शन का संगम हैं। समाज की सच्चाइयों को इस तरह दिखाती थीं कि आम जनता उनसे जुड़ाव महसूस कर सके। बूट पॉलिश और श्री 420 जैसी फिल्मों में आम लोगों के संघर्ष और मानवता की भावना को दिखाया गया। वहीं, संगम, बॉबी, सत्यम शिवम सुंदरम और राम तेरी गंगा मैली जैसी फिल्मों में प्रेम और सौंदर्य की भावनाओं को पेश कीं।
फिल्म इतिहासकार अमृत गंगर के मुताबिक,राज कपूर ने भारतीय सिनेमा के इतिहास की नसों में आधुनिकतावादी लोकाचार डाला और यही उनकी फिल्मों की प्रासंगिकता बनाए रखता है। राज कपूर में लय और संगीत की अद्भुत समझ थी। इसने उनकी फिल्मों को जवां बनाए रखा। गंगर कहते हैं, मेरे विचार से राज कपूर की जन्म शताब्दी वर्ष में उनकी फिल्में अभी भी सदाबहार हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved