खई के पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अकल का ताला… 1977 में रिलीज फिल्म ‘डॉन’ में अमिताभ बच्चन पर फिल्माए इस गाने ने बनारसी पान की प्रसिद्धि को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था. लेकिन यहां बनारस के नहीं महाराष्ट्र के औरंगाबाद के खास पान की बात हो रही है. औरंगाबाद कई ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. लेकिन मौजूदा समय में इस खास पान के लिए भी शहर का नाम काफी चर्चा में रहा है.
5000 रुपये का पान
इस पान की कीमत है 5000 रुपये. जी हां, ठीक पढ़ा आपने पांच हजार रुपये. ये पान औरंगाबाद में तारा पान सेंटर में मिलता है. वैसे तो यहां 50 वैरायटी के पान मिलते हैं लेकिन कोई खाए न खाए सबकी उत्सुकता 5000 रुपये के इस पान के बारे में जानने की रहती है. दरअसल इस दुकान पर हनीमून पैकेज के तौर पर तीन तरह के पान बेचे जाते हैं. 5000 रुपये का ‘कोहिनूर मसाला पान’, 3000 रुपये का ‘कपल पान’ और 2000 हजार रुपये का ‘हनीमून पान’.
मिलता है कई वैरायटी का पान
दुकान के मालिक मोहम्मद सर्फुद्दीन सिद्दीकी उर्फ सैफू चाचा के मुताबिक पान का असर कितने दिन रहता है, उसी के हिसाब से इसकी कीमत रखी गई है. उनका दावा है कि 5000 रुपये के पान का असर तीन दिन तक रहता है. इस दुकान पर 700 रुपये का ‘राजारानी’ पान भी मिलता है. यहां सबसे सस्ता पान 7 रुपये का है.
क्या खास है हनीमून पैकेज वाले पान में?
सर्फुद्दीन के मुताबिक इस पान का फॉर्मूला उन्हें अपनी मां से मिला. सर्फुद्दीन ने ये भी बताया कि उनके नाना मशहूर हकीम थे, शायद उन्हीं से मां को उस पान का फॉर्मूला मिला होगा. इस खास पान को स्पेशल पैकिंग में परोसा जाता है. एक पैकेट में दो पान आते हैं. इस पान को बनाने में 25 मिनट का वक्त लगता है. इसमें सोने-चांदी के वरक, गुलाब, शहद, जाफरान, अंबर, खुशबू वाली चटनी, सफेद मूसली और कुछ खास किस्म की जड़ी बूटी का इस्तेमाल होता है. सर्फुद्दीन के मुताबिक पहले सबसे महंगे पान की कीमत दस हजार रुपये थी लेकिन डिमांड कम होने की वजह से इसे घटाकर पांच हजार रुपए कर दिया गया. सर्फुद्दीन ने बताया कि पहले शादियों के सीजन में हर दिन 6 से 8 ऐसे पान बिक जाते थे.
हनीमून पैकेज पान
सर्फुद्दीन ने औरंगाबाद में 52 साल पहले इस दुकान को खोला था. सर्फुद्दीन अब 72 साल के हैं. मैट्रिक पास सर्फुद्दीन को किशोर अवस्था में बॉलीवुड का बड़ा क्रेज था. इस चक्कर में वो मुंबई भी पहुंच गए. वहां वेटर, जूनियर डॉयलॉग राइटर जैसे काम भी किए. लेकिन जल्दी ही उन्हें हकीकत समझ आ गई. मुंबई से उलटे पांव औरंगाबाद लौटने पर सर्फुद्दीन ने पान की दुकान खोलने का फैसला किया. इसके लिए सर्फुद्दीन की मां ने अपने जेवर बेचकर पैसे का इंतजाम किया. सर्फुद्दीन के मुताबिक दुकान खोलने के एक साल के बाद ही उनका निकाह हो गया. निकाह के बाद पहली रात को उनकी मां ने एक खास तरह का पान उन्हें खाने के लिए दिया. तभी सर्फुद्दीन को इस पान की खासियत का पता चला. फिर उन्होंने इसे अपनी दुकान पर भी बेचने का फैसला किया.
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