उज्जैन। नयापुरा स्थित देवी चौंसठ योगिनी का अति प्राचीन मंदिर है। प्राचीन काल से ही यह मंदिर तंत्र साधना और पूजा के लिए प्रमुख स्थान माना जाता है। यह शहर का प्रसिद्ध देवी मंदिर है।
मंदिर के पुजारी पं. मनीष व्यास के मुताबिक यहां माताजी पिंड रूप में 64 देवियों के रूप में विराजमान हैं। जिनके अलग-अलग नाम है। सम्राट विक्रमादित्य के समय से चौंसठ योगिनियों का यह मंदिर विद्यमान है। मंदिर में विराजित यह योगिनियां देवी का ही स्वरूप हैं। चौसठ योगिनी माता मंदिर में संपूर्ण वर्ष दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालु आते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त करने के बाद देवी मां का पूजन अर्चन करते हैं।
लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां प्रतिदिन भक्तों की भारी भीड़ रहती है। उन्होंने यह भी बताया कि चौसठ योगिनियों के देश में कई जगह मंदिर है, लेकिन मप्र में तीन बड़े मंदिरों में जबलपुर के भेड़ाघाट पर नर्मदा किनारे पहाड़ी पर किलेनुमा और चंबल संभाग में चौसठ योगिनियों के मंदिर है। तीसरा प्रमुख मंदिर उज्जैन का है, जो चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य कालीन है। देवी चौसठ योगिनी को तांत्रिकों की देवी कहा जाता है और तंत्र साधना के लिए यह स्थान अत्यंत विशेष महत्व रखता है। नवरात्रि पर्व पर मंदिर में प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती के पाठ और महाअष्टमी पर हवन किया जा रहा है। लेकिन इस दौरान देश के कई हिस्सों से यहां देवी का पूजन अर्चन कर सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं।