नई दिल्ली: अगर आपको लग रहा है कि महंगाई बढ़ गई है, आपका जीना मुहाल हो गया है तो चुपचाप मर जाइए. मगर सरकार के खिलाफ एक शब्द मत बोलिए. बोलने पर भी मारे ही जाएंगे. जी हां, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि महंगाई के खिलाफ आवाज उठाने पर 29 लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है. नाइजीरिया में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करने पर 29 बच्चों को मौत की सजा हो सकती है. इन बच्चों पर आरोप है कि इन्होंने नाइजीरिया में बढ़ती महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हुए थे. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई. इन बच्चों पर देश में बढ़ती महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप लगाए गए. सुनवाई के दौरान इनमें से चार बच्चे डर के मारे बेहोश हो गए.
खबर के मुताबिक, महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले कुल 76 प्रदर्शनकारियों पर देशद्रोह, संपत्ति का नुकसान, सार्वजनिक अशांति और विद्रोह सहित 10 गंभीर मामलों में आरोप लगाए गए. इनमें से 29 नाबालिग बच्चे हैं, जिनकी उम्र 14 से 17 साल के बीच है. नाइजीरिया में बढ़ती महंगाई की वजह से लोगों में हताशा है और हाल के महीनों में कई बड़े विरोध प्रदर्शन हुए हैं. अगस्त में युवाओं के लिए बेहतर अवसरों और नौकरियों की मांग को लेकर हुए एक विरोध प्रदर्शन हुआ था. उसमें कम से कम 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और सैकड़ों को गिरफ्तार किया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, नाइजीरिया में 1970 के दशक में मौत की सजा शुरू की गई थी, लेकिन 2016 से देश में कोई फांसी नहीं हुई है. अब इन 29 बच्चों पर फांसी की सजा का खतरा गहरा गया है. नाइजीरियाई शहर अबुजा के एक प्राइवट वकील अकिंटायो बालोगुन ने कहा कि बाल अधिकार अधिनियम किसी भी बच्चे पर आपराधिक कार्यवाही और मौत की सजा देने की अनुमति नहीं देता है. बालोगुन के मुताबिक, नाबालिगों को फेडरल हाईकोर्ट में पेश करना गलत है. सरकार को यह साबित करना होगा कि सभी लड़के 19 साल से ऊपर के हैं
हालांकि, इनमें से कुछ लड़कों के वकील मार्शल अबुबकर ने कहा कि कोर्ट ने प्रत्येक प्रतिवादी को 10 मिलियन नायरा (5,900 डॉलर) के मुचलके पर जमानत दे दी और उन पर कड़ी शर्तें लगाईं, जिन्हें वे अभी तक पूरा नहीं कर पाए हैं. अबुबकर के मुताबिक, ये बच्चे 90 दिनों से बिना भोजन के हिरासत में हैं. सरकार के इस कदम की चारो ओर आलोचना हो रही है. नाइजीरिया में नागरिक समाज संगठन इनफ इज इनफ के कार्यकारी निदेशक येमी एडामोलेकुन ने कहा कि अधिकारियों को बच्चों पर मुकदमा चलाने का कोई अधिकार नहीं है.
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