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    विधानसभा की घटती महिमा को लेकर स्पीकर ने जताई चिंता

  • September 16, 2022

    • छोटे होते सत्रों पर स्पीकर बाले, पुजारी गड़बड़ होगा, तो मंदिर पर आंच आएगी

    भोपाल। हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा का मानसून सत्र सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित रहा। 5 दिन चलने वाला सत्र हंगामे की वजह से 3 दिन में ही सिमट गया। छोटे होते सत्र और जनहित के मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं होने से विधानसभा की गरिमा भी घट रही है। अब तंत्र में विधानसभा सत्र का पहले जैसा खौफ नहीं रहा है। इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने चिंता जताईहै। उन्होंने कहा है कि विधानसभा चलने की टाइमिंग फिक्स होनी चाहिए। विधानसभा रूपी मंदिर का पुजारी यानि विधायक गड़बड़ होंगे, तो मंदिर पर तो आंच आएगी ही।
    स्पीकर गिरीश गौतम ने कहा- जनता हमें जिस अपेक्षा से चुनकर भेजती है। कोई विधायक ये नहीं कहता कि हम विधानसभा का अपमान करेंगे। हर विधायक ये कहता है कि विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है, तो इस मंदिर की रक्षा कौन करेगा। विधायक इस मंदिर का पुजारी है, जब पुजारी गडबड़ होगा, तो मंदिर पर आंच तो आएगी। इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था खत्म होगी। किसी मंदिर का पुजारी ठीक नहीं होगा, तो कौन उस मंदिर में दर्शन करने जाएगा। हम सबकी जिम्मेदारी है कि जिस पवित्रता के साथ संकल्प लेते हैं, उसकी पवित्रता बचाने की जिम्मेदारी सबकी है।

    संविधान में तय नहीं है बैठक
    उन्होंने कहा कि विधानसभा के संविधान में इस तरह का वर्णन नहीं है कि विधानसभा कितने दिन चलेगी। कुछ दिन पहले शिमला और गुवाहाटी में स्पीकर्स के सम्मेलन हुए। टोरंटो में भी पार्लियामेंट के स्पीकर्स का सम्मेलन हुआ है। इन सम्मेलनों में देश भर की विधानसभाओं के स्पीकर एक प्रस्ताव पर सहमत हुए हैं कि विधानसभाओं के संचालन का समय तय हो। अभी संविधान में उल्लेख है कि विधानसभा छह महीने में एक बार आहूत होगी, लेकिन कितने समय के लिए बुलाई जाएगी, ये नहीं लिखा है।


    हर 3 महीने में बुलाया जाए सत्र
    स्पीकर ने कहा कि विधानसभा तीन महीने में एक बार बुलाई जाए, उसके दिन भी तय हों। सदस्यों की संख्या के हिसाब से हर राज्य की विधानसभाओं के दिनों को तय कर दिया जाए। एक बार दिनों का निर्धारण हो जाने से विवाद की स्थिति नहीं बनेगी।

    पहले से तय था तीन दिन चलेगा सदन
    विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सर्वदलीय बैठक और कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय किया कि 17 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्यप्रदेश आगमन के चलते सदन चलना मुश्किल है। बैठक में यह बात भी आई थी कि 13 सितंबर को शंकराचार्य जी के निधन के चलते अवकाश करना पड़ेगा। ऐसे किसी तरह पांच दिन का समय पूरा करना पड़ेगा। इसी वजह से हमने लंच ब्रेक खत्म कर शाम 5 से 7:30 बजे तक समय बढ़ाकर रोजाना 3: 30 घंटे का समय बढ़ाया। यह बैठकों में ही तय हो गया था कि पांच दिन का समय तीन दिन में पूरा करना है।

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