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लोकसभा चुनाव में जीत से सपा उत्साहित, अब मिशन 2027 पर नजर

लखनऊ: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में मिली अभूतपूर्व जीत (victory) के ईधन से समाजवादी पार्टी (SP) का संगठन रफ्तार पकड़ने में जुट गया है। जनता के मुद्दों पर प्रदर्शन, संवाद की कवायद तेज हो चुकी है। वहीं, आगे अभियान, कार्यक्रमों एवं संवाद के जरिए संगठन की सक्रियता और बढ़ाने की तैयारी है। इसके जरिए 2027 के विधानसभा चुनाव (assembly elections) के लिए जमीन मजबूत करने का लक्ष्य है।



समाजवादी पार्टी ने यूपी में 12 साल बाद किसी बड़ी जीत का स्वाद चखा है। 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद उसे हर चुनाव में हार ही मिली। चाहे वह 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव हो या 2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव हो। इस हार का असर संगठन के मनोबल पर भी पड़ा। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद भी वोट बैंक के विस्तार से संभावनाओं की किरणें जरूर फूटी थीं। इस लोकसभा चुनाव में इन संभावनाओं को परिणाम में बदलकर सपा ने इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए लोकसभा में यूपी से नंबर एक और देश में तीसरा स्थान हासिल किया है। इससे मिले मोमेंटम को धार देने के लिए जनता के मुद्दों पर सपा अब लगातार जमीन पर दिखाई देने की रणनीति पर जुट गई है।

हर मु़द्दे पर पूछेंगे कड़े सवाल
2022 के विधानसभा चुनाव के बाद सपा ने एक अभियान शुरू किया था, जिसमें हर महीने सरकार से जनता के मुद्दों पर सवाल पूछा जाना था। हालांकि, यह कवायद काफी हद तक सोशल मीडिया तक ही सीमित रही। लेकिन, अब जनता के बीच रहकर इस अभियान को धार दिया जाएगा। NEET में पेपर लीक के मुद्दे पर सपा नेतृत्व जहां सदन से लेकर सार्वजनिक मंचों पर सवाल पूछ रहा है। वहीं, पार्टी की यूथ विंग एवं छात्रसभा का सड़कों पर आक्रामक प्रदर्शन लगातार चल रहा है। प्रदेश में अलग-अलग जगह हुई विभिन्न घटनाओं में भी सपा के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल की नियमित पहुंच और मौजूदगी दिख रही है। सपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जनता के मुद्दे पर हम पहले भी सक्रिय थे लेकिन, आक्रामकता की कमी थी। दूसरे सत्ता के वर्चस्व के चलते तवज्जो भी कम मिल रही थी। अब जब प्रदेश के आधे से अधिक जिलों में हमारे सांसद हैं, तो सड़क से सदन तक हम विपक्ष की भूमिका को और बेहतर ढंग से निभा पा रहे हैं। जनता के मुद्दों पर सपा अब नियमित सड़क पर नजर आएगी।

PDA का कोर अजेंडा जारी रहेगा
2022 के विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) एका का नया समीकरण तैयार किया था। संविधान और आरक्षण के मुद्दे को इसके साथ जोड़कर उन्होंने PDA को जीत के सफल फार्मूले में बदल दिया। इस कोर अजेंडे को आगे भी जारी रखने की तैयारी है। लोकसभा चुनाव के पहले अलग-अलग सामाजिक वर्गों के बीच लगाई जाने वाली पीडीए पंचायत पार्टी फिर शुरू कर रही है। अब इसके स्वरूप को और व्यापक व व्यवस्थित बनाया जाएगा। साथ ही पार्टी के हर अभियान व कार्यक्रम की थीम पीडीए ही होगी। यहां तक कि सोमवार से शुरू हो रहे पार्टी के पौधरोपण अभियान तक को पीडीए से जोड़ा गया है। अखिलेश यादव पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को संयम की नसीहत के साथ यह टॉस्क दे चुके हैं कि जो वोटर अब साथ जुड़ चुके हैं, उनको बनाए रखते हुए नयों को जोड़ना है। इसलिए, उनके बीच नियमित उपस्थित बनाए रखें।

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