नई दिल्ली (New Dehli)। लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections in Uttar Pradesh)को लेकर सियासी पारा (political mercury)चढ़ा हुआ है. यूपी में राज्यसभा की 10 सीटें खाली (10 seats vacant)हुई हैं. इनमें से 7 सीटों पर बीजेपी की जीत पक्की (BJP’s victory is certain)मानी जा रही है, जबकि सपा की झोली में दो सीटें आ रही हैं. बीजेपी ने राज्यसभा का 8वां उम्मीदवार उतारकर इस चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. जिसके बाद सपा और भाजपा में छोटे दलों के विधायकों को अपने खेमे में लाने की होड़ मची है. पहले सपा की ओर से राजा भैया को संपर्क किया गया तो अब भाजपा ने भी कुंडा के राजा से मुलाकात और लंबी बैठक की है।
यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और योगी सरकार में मंत्री जेपीएस राठौर ने राजा भैया के आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की है. जिस तरह के राजनीतिक हालात हैं, उन्हें देखकर लगता है कि बीजेपी राजा भैया से राज्यसभा चुनाव के लिए समर्थन मांग रही है. राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास दो विधायक हैं. इससे पहले सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी अचानक मिलने के लिए उनके आवास पहुंच गए थे. इस मीटिंग के दौरान राजा भैया और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच फोन पर बात भी हुई थी।
राज्यसभा चुनाव में क्या फंस रहा है पेच?
राजा भैया और अखिलेश यादव की अचानक बढ़ी नजदीकी को राज्यसभा चुनाव के नंबरगेम से जोड़कर भी देखा जा रहा है. दरअसल, बीजेपी ने नामांकन के अंतिम दिन आठवां उम्मीदवार उतार दिया, जिससे सपा की तीसरी सीट फंस गई. सपा को तीन सीटें जीतने के लिए 111 विधायकों के वोट चाहिए होंगे. सपा के 108 विधायक हैं, जिनमें से एक विधायक पल्लवी पटेल ने सपा उम्मीदवार को वोट देने से इनकार कर दिया है।
सपा की तीसरी सीट का क्या होगा?
समाजवादी पार्टी को राज्यसभा चुनाव में इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती, अगर राष्ट्रीय लोकदल, एनडीए में शामिल नहीं होती. खैर, अगर पल्लवी पटेल को हटा दिया जाए तो सपा के पास 107 विधायक बचते हैं. कांग्रेस के पास दो विधायक हैं. अगर दोनों दलों को जोड़ लिया जाए तो 109 वोट होते हैं. ऐसे में अगर राजा भैया की पार्टी सपा को समर्थन देती है तो 111 वोट हो जाएंगे और तीसरी सीट आसानी से निकल सकती है, लेकिन राजा भैया और बीजेपी नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात ने अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ा दी है।
सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी की ओर से राजा भैया से राज्यसभा चुनाव के लिए समर्थन मांगा है तो वहीं लोकसभा चुनाव के लिए भी ऑफर दिया है. ऐसी अटकलें हैं कि राजा भैया प्रतापगढ़ सीट से 2024 का चुनाव लड़ना चाहते हैं. अगर सपा से गठबंधन होता है तो उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा।
राज्यसभा चुनाव से ही बिगड़े थे राजा भैया-अखिलेश के रिश्ते
कभी अखिलेश की सरकार में मंत्री रहे राजा भैया के रिश्ते सत्ता में रहते ही बिगड़ने लगे थे. साल 2013 में कुंडा के ग्राम प्रधान की हत्या के बाद हिंसा भड़की थी और भीड़ ने सीओ जियाउल हक की हत्या कर दी थी. सीओ की पत्नी ने इस मामले में राजा भैया पर आरोप लगाए थे, जिसके बाद राजा भैया को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. कहा जाता है कि यही वो दौर था जब अखिलेश-राजा भैया के रिश्ते बिगड़ गए थे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved