भोपाल। मप्र में कहीं मानसून इस कदर मेहरबान है कि वहां बारिश से सोयाबीन सहित कई फसलें सडऩे लगी है, वहीं कहीं कम वर्षा के कारण धान सहित अन्य फसले सुखने लगी है। मौसम के इस दोहरे रूप से मप्र के अन्नदाता परेशान हैं। प्रदेश में जब बारिश नहीं हो रही थी तब किसानों को फसलों के सुखने की चिंता हो रही थी। अब अधिक बारिश होने से फसलों के सडऩे की चिंता सता रही है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में लगातारत वर्षा से मक्का और सोयाबीन को नुकसान हो रहा है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि लगातार वर्षा से खेतों में पानी का जमाव होने के कारण फसलों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई। उधर, धान वाले क्षेत्रों में कम बारिश होने से उसका रकबा कम हो गया है।
प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार जारी बारिश का असर सोयाबीन की फसल पर पड़ा है। प्रदेश में सोयाबीन का रकबा करीब 50 लाख हेक्टेयर है। इसमें से नर्मदा बेल्ट के साथ ही जलभराव वाले इलाकों की फसल सडऩे लगी है। खेतों में लगातार पानी भरा होने से फसल डूबी है। इससे अब उसके आगे बढऩे के आसार नही बचे हैं। कृषि विभाग ने किसानों को खेतों से पानी बाहर निकालने की सलाह दी है। हालांकि, कुछ जगह कम और मध्यम बारिश हुई है, जिससे धान के किसानों को फायदा हुआ है भोपाल संभाग में सोयाबीन को नुकसान। लेकिन मक्का और धान पर पानी का अच्छा प्रभाव पड़ा है। पानी से मक्का तेजी से ऊपर आया है, वहीं खेतों में पानी भरने से धान की रोपाई भी तेज हुई है।
कहीं रौनक तो कहीं परेशानी
मौसम विभाग के अनुसार इस बार प्रदेश में अभी तक 46 फीसदी अधिक बारिश हुई है। इससे नर्मदा बेल्ट के खेतों में जल प्लावन की स्थिति बनी हुई। क्षेत्र के बहुत बड़े रकबे में लगी सोयाबीन और मक्का फसल की रौनक गायब हो गई है। बादलों के नहीं छटने के कारण पौधों की वृद्धि रुक गई है। सिवनी जिले के करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर रकबे में मक्का फसल लगाई गई है। खेतों में मक्का बीज की बुआई किए किसानों को करीब एक माह हो चुका है। लगातार वर्षा के कारण कई गांव में मक्का फसल के पौधों की वृद्धि रुक गई है। अंकुरित पौधे की ऊंचाई रुक सी गई है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। कृषि कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगातार वर्षा के कारण मक्का और सोयाबीन फसल की वृद्धि प्रभावित हो रहा है। बादलों के छाए रहने और धूप नहीं खिलने के कारण पौधों की पत्तियों में पीलापन आने की शिकायत मिल रही है। बड़वानी जिले में 2.38 लाख हेक्टेयर में हुई खरीफ सीजन की फसलों को बेहतर बारिश का लाभ मिल रहा है। जिले के चाचरियापाटी विकासखंड के साथ सेंधवा, वरला, निवाली और पानसेमल क्षेत्रों में सर्वाधिक बारिश दर्ज हुई है। अब तक बारिश से फसलों व साग-सब्जियों में नुकसान नहीं हुआ है। झाबुआ में मक्का, कपास, सोयाबीन होती है, लेकिन कम बारिश से किसान परेशान हैं। टमाटर को भी पानी की दरकार है। महाकोशल और विंध्य में धान की रोपाई तेज है। कटनी, उमरिया, शहडोल, डिंडौरी व मंडला में कम बारिश से चिंता । सिहोरा में बारिश के साथ ही धान की रोपाई का काम भी तेज हो गया है। प्रकाश मिश्रा, वासुदेव मिश्रा, उत्तम तिवारी, अवधेश पांडेय किसानों का कहना है कि बारिश जरूरत की लिहाज से लेट हुई है, पर अब हो रही है इस बारिश से धान की नर्सरी और तैयार खेतों में रोपाई का काम भी शुरू हो गया है।
अब तक कम हुई धान की बोवनी
प्रदेश में पहले वर्षा में विलंब और फिर लगातार पानी गिरने के कारण इस वर्ष धान की बोवनी प्रभावित हुई है। जबलपुर, कटनी, बालाघाट, सिवनी, नरसिंहपुर, ग्वालियर, शिवपुरी सहित अन्य जिलों में बोवनी 50 प्रतिशत से भी कम है। नरसिंहपुर में तो कम वर्षा के कारण किसानों ने नलकूप से खेतों में पानी भरकर बोवनी की। अभी तक 13.77 लाख हेक्टेयर में ही बोवनी हुई है। यह पिछले साल इस अवधि में हुई बोवनी से छह लाख हेक्टेयर कम है। हालांकि, मक्का, बाजारा और ज्वार की बोवनी जरूर लक्ष्य के अनुरूप हो चुकी है। सोयाबीन 49.79 और उड़द की बोवनी 12.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। प्रदेश में वर्ष 2022 में 147 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसल की बोवनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। धान के लिए 34 लाख 71 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। पिछले साल 22 जुलाई तक 19.83 लाख हेक्टेयर में बोवनी हो गई थी लेकिन इस बार यह 13.77 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई। धान के प्रमुख क्षेत्र कटनी व बालाघाट में 14 और नरसिंहपुर में 27 प्रतिशत बोवनी हुई। सिंगरौली, सतना और दतिया में 11, बुरहानपुर में 18 प्रतिशत ही लक्ष्य की पूर्ति हुई है। जबकि, सीहोर, विदिशा, हरदा, अशोकनगर, गुना और झाबुआ में धान की सौ प्रतिशत बोवनी हो चुकी है। पूर्व कृषि संचालक जीएस कौशल का कहना है कि वर्षा का दौर थमते ही बोवनी की गति बढ़ जाएगी। अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक बोवनी होती है, इसलिए अभी चिंता की बात नहीं है। मक्का, उड़द, सोयाबीन सहित अन्य फसलों की बोवनी ठीक हो गई है।
सोयाबीन की बोवनी भी घटी
उधर, सोयाबीन की बोवनी भी पिछले साल से एक लाख हेक्टेयर में कम हुई है। वर्ष 2021 में 22 जुलाई तक 49.76 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई थी, जो इस वर्ष 48.76 लाख हेक्टेयर है। सरकार ने 54.42 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा है। मक्का 15 लाख हेक्टेयर में बोया जा चुका है तो बाजरा दो लाख 36 हजार हेक्टेयर में लगाया गया है। तुअर के लिए चार लाख 43 हजार हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया गया है, लेकिन अभी तक तीन लाख 15 हजार हेक्टेयर में ही बोवनी हुई है। अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी ने बताया कि इस वर्ष अभी तक 111.51 लाख हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है।
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