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    फूल-कली में थी सोयाबीन की फसल, बाढ़ से हुई तबाह

  • August 24, 2022

    • करीब 25 हजार हेक्टेयर में फसलो को हुआ भारी नुकसान

    सीहोर। खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसल सोयाबीन, मक्का, मूंग, उड़द में इस समय फूल-कली बन रही थी, जिले में हुई भारी बारिश के कारण जहां फूल झड़ गये हैं, जिन पौधे में कली बन चुकी है। वह बाढ़ के पानी ने फसलो को तबाह कर दिया। नदी नालो व नर्मदा तटीय क्षेत्रो के खेतो में बाढ़ का पानी भर गया था जिससे लगातार 24 घंटे बाढ़ का पानी रहने से पौधे गल गए, वहीं कीचड़ की गाद पौधो पर जम गई है जिसका नतीजा सोयाबीन की फसल के फूल बुरी तरीके से झडऩे के साथ ही कली भी नष्ट हो गई है। गाद के कारण सोयाबीन में अब दोबारा से फूल आने की संभावना नहीं है। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
    जिले में करीब तीन लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की बोवनी की गई है। इसमें से करीब 60 फीसदी हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई है। इसके अलावा 40 फीसदी में मूंग, उड़द, मक्का और धान की फसल बोई गई है। खरीफ फसलो में करीब डेढ़ माह बाद फूल और कली के बाद फल बनना शुरू हो जाते हैं। सोयाबीन में भी इस समय फूल और कली बन रही थी। लगातार तेज आंधी के साथ जिले के अलग अलग हिस्सो में हुई भारी बारिश से सोयाबीन की फसलो को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। जिन खेतो में बाढ़ का पानी नहीं पहुंच सका था वहां पर भी सोयाबीन के पौधो के फूल झड़ गये हैं। इसके साथ ही जिन खेतो में बाढ़ का पानी गया था, वहां की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई।

    बांझ रह जाएगी सोयाबीन…
    सोयाबीन की फसल करीब 40 से 50 दिन की हो गई है। फसल में कहीं कहीं फूल आ रहे थे तो वहीं फली बनना शुरू हो गई थी। जिन पौधो में फली बन चुकी है उसमें दाने का अंकुरण हो जाएगा, लेकिन जिन पौधो में फूल आ रहे थे जो बारिश में झड़ गए हैं। कृषि वैज्ञानिको के अनुसार सोयाबीन फसल में एक बार फूल आते हैं, इसके बाद फूल आने की संभावना मात्र दस प्रतिशत ही रहती है। ऐसे में सोयाबीन की फूल गिरने पर अब दोबारा से फूल नहीं आएंगे जिससे सोयाबीन के फसल के बांझ रहने की संभावना अधिक हो गई है। जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है।


    पांच सालो से किसानों को खरीफ सीजन में हो रहा नुकसान
    पिछले पांच सालो के आंकड़ो की बात करें तो जिले में हर साल खरीफ फसल की बोवनी किसान करता है। जिसमें सबसे अधिक सोयाबीन की बोवनी जिले में की जाती है। प्राकृतिक आपदा, कीट व्याधी का प्रकोप, बांझपन और बाढ़ के पानी से हर साल खरीफ फसल खराब हो रही है, जिससे किसानों को हर साल प्राकृतिक की मार झेलनी पड़ रही है। इस साल भी सोयाबीन की फसल बहुत अच्छी थी, इसका उत्पादन भी किसान को अच्छा होने की उ मीद थी, लेकिन भारी बारिश और बाढ़ ने इस उ मीद को तबाह कर दिया। अब फिर से किसानों को इस साल भी भारी नुकसान होगा।

    जल्द शुरू होगा फसलो के नुकसान का आंकलन
    बुधवार को सुबह से ही धूप खिलने के बाद राजस्व का अमला ओर कृषि विकास विभाग का अमला खेतो में हुए फसलो के नुकसान को देखने के लिये पहुंचेगा। अभी प्राथमिक आंकलन में करीब 25 हजार हेक्टेयर में नुकसान हुआ है, लेकिन सर्वे होने के बाद यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।

    बाढ़ प्रभावितो का शुरू नहीं हुआ सर्वे
    सीहोर शहर में हुई भारी बारिश से करीब आधा दर्जन कालोनी मोहल्लो में पानी भर गया था। जिससे लोगो की गृहस्थी का सामान, खाद्य सामग्री व इलेक्ट्रिक उपकरण खराब हो गये। इसके अलावा कुछ कच्चे मकान भी बारिश में भरभरा कर ढह गए है। जिन लोगो के पास गृहस्थी के सामान के अलावा खाने पीने का सामान नहीं बचा है। ऐसे में बाढ़ पीडि़तो को प्रशासन और नगर पालिका की तरफ से आर्थिक मदद की उ मीद लगा रहे है, लेकिन अभी तक सर्वे का काम शुरू नहीं हो सका।

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