उज्जैन। मानसून आने की तैयारी के साथ ही उज्जैन जिले के किसान भी खरीफ की फसल सोयाबीन की तैयारी शुरू कर देते हैं। सोयाबीन की बोवनी के पहले किसानों को नकली बीज की चिंता सता रही है। कृषि विभाग द्वारा भी नकली बीज के नियंत्रण और धरपकड़ के लिए अभी तक कोई तैयारी नहीं की है।
मानसून आते ही जिले में खरीफ की फसल की बोवनी का काम शुरू हो जाएगा। किसानों ने इसकी तैयारी भी कर ली है लेकिन नकली बीज की चिंता किसानों को सता रही है। कृषि विभाग द्वारा भी नकली बीज से संबंधित किसी भी प्रकार की एडवाइजरी जारी नहीं करना और तैयारी नहीं करना किसानों के लिए चिंता का विषय है। कृषि विभाग अभी तक किसानों को नकली बीजों की वैरायटी को लेकर जानकारी तक उपलब्ध नहीं करवा पाया है। हर वर्ष जिले में किसानों के साथ नकली बीज को लेकर धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं। इसमें किसान की बुवाई के बाद फसल खराब होने जैसी स्थिति सामने आती है। बाजार से खरीदे गए बीज में बीज की धोखाधड़ी के यह मामले होते हैं। इससे जिले के कई किसानों को बड़े आर्थिक नुकसान सहना पड़ते हैं। उच्च क्वालिटी और उपचार किए गए बीज के विक्रय के नाम पर ऐसी धोखाधड़ी होती है। किसानों की इन सब स्थितियों से परिचित होने के बाद भी कृषि विभाग पहले से न तो किसानों के लिए बीज को लेकर कोई जानकारी ही प्रचारित प्रसारित करता है और न ही किसानों को सत्यापित बीज ही उपलब्ध करवाता है। मंगरौला ग्राम के किसान भरत सिंह बैस ने बताया कि हर वर्ष नकली बीज के मामलों में कृषक भगवान भरोसे ही अपने कार्य को अंजाम देते हैं। कृषि विभाग के हाल यह हैं कि खरीफ में सोयाबीन के नकली बीज की कई वैरायटी चलन में होने की जानकारी होने के बावजूद ऐसी वैरायटी के नाम और नंबर तक की सूची एडवायजरी के बतौर जारी नहीं की जाती है। यहीं नहीं सत्यापित बीज एवं उनकी वैरायटी को लेकर भी कृषकों को सुझाव देना उचित नहीं समझा जाता है। खरीफ बोवनी को लेकर बीज माफिया कृषकों के साथ धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। मानसून आने के साथ ही यह माफिया सक्रिय होकर ग्रामीण क्षेत्र में अपने काम को अंजाम देते हैं। सामान्य सोयाबीन को ही उच्च क्वालिटी का बताते हुए बीज के नाम पर बेचते हैं। पूर्व में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें सामान्य सोयाबीन से कई गुना अधिक कीमत पर बीज के नाम पर इसे बेचा जाएगा और खेतों में फसल खराब या कमजोर होने की स्थिति बनेगी फिर परेशान किसान अधिकारियों को ज्ञापन और आंदोलन करने को मजबूर होंगे। जिले में उर्वरक, बीज व पौध संरक्षण औषधि के विक्रय एवं भण्डारण प्रतिष्ठानों पर विक्रेताओं द्वारा विक्रय एवं भण्डारण से संबंधित आवश्यक जानकारियाँ प्रदर्शित नहीं की जा रही हैं। इसके तहत कृषि विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई धरातल स्तर पर अंजाम नहीं दी है। नियमानुसार ऐसे प्रतिष्ठानों पर विक्रय एवं भण्डारण प्रतिष्ठान दस्तावेज व्यवस्थित करने होते हैं। इसके साथ ही आवश्यक जानकारियाँ जैसे लायसेंस, स्टॉक एवं विक्रय दर का प्रदर्शन करना होता है। उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985, बीज नियंत्रण आदेश 1983, कीटनाशी अधिनियम 1968 एवं कीटनाशी नियम 1971 के प्रावधानों के तहत यह आवश्यक होने के बावजूद भी इसका पालन जिला स्तर पर देखने में नहीं आ रहा है। नकली बीज मामले में भारतीय किसान संघ की उज्जैन इकाई द्वारा पूर्व में उज्जैन नकली बीज पकड़वाया है। शासन किसानों को पुष्टिकारक बीज की पूरी पूर्ति नहीं कर पाता है इसके चलते या तो किसान पूर्व से स्टोर करके रखता है या फिर बाजार से बीज लेता है। बाजार में इस दौरान नकली बीज विक्रेता सक्रिय हो जाते हैं और विभाग की सुस्ती से वे किसानों को नकली बीज बेचते हैं। भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी भरत सिंह बैस ने बताया कि बाजार में नकली नहीं प्रमाणिक बीज मिले और वर्तमान में मिलने वाले बीज का सत्यापन होना चाहिए इसके बाद ही वह किसानों तक पहुँचे।
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