नई दिल्ली. महाभियोग (Impeachment) का सामना कर रहे दक्षिण कोरिया (South Korea) के अपदस्थ राष्ट्रपति (ousted president) यून सुक-योल (Yoon Suk-yeol) किसी भी वक्त गिरफ्तार हो सकते हैं. पुलिस गिरफ्तारी वारंट के साथ उन्हें अरेस्ट करने उनके आवास पहुंच गई है. लेकिन आवास के बाहर यून के समर्थकों (supporters) की भीड़ जुटी है जो पुलिस अधिकारियों को रोक रही है.
वह देश में तीन दिसंबर की रात को अचानक मार्शल लॉ लगाकर निशाने पर आए थे. उनके समर्थन में घर के बाहर प्रदर्शनकारियों की भीड़ जमा हो गई है, जो उनके समर्थन में नारेबाजी कर रही है. यून के समर्थक उनकी गिरफ्तारी रोकने की कोशिश कर रहे हैं.
साउथ कोरिया में पद से हटाए गए राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ मंगलवार को सियोल की कोर्ट ने अरेस्ट वारंट जारी किया था. यून को मॉर्शल लॉ लागू करने के लिए 14 दिसंबर को महाभियोग लाकर पद से हटा दिया गया था.
देश में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब किसी राष्ट्रपति के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है. सियोल की अदालत ने करप्शन इंवेस्टिगेशन ऑफिस (CIO) के सीनियर अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिए हैं. बता दें कि पूछताछ के लिए उन्हें बार-बार तलब किया गया था लेकिन वह एक बार भी पुलिस के समक्ष पेश नहीं हुए.
अचानक लगाया था मार्शल लॉ
यून ने 3 दिसंबर की रात को अचानक मार्शल लॉ घोषित कर दिया था और संसद में विशेष बल और हेलिकॉप्टर भेज दिए थे. विपक्ष के साथ उनकी पार्टी के सांसदों ने उनके आदेश को अस्वीकार करके उन्हें अपना फैसला वापस लेने के लिए मजबूर किया. राष्ट्रपति यून को महाभियोग का सामना करना पड़ा और अब उनके अचानक लिए गए फैसले की आपराधिक जांच हो रही है.
हालांकि, संसद में वह महाभियोग प्रस्ताव से बाल-बाल बच गए, जिसके बाद पूरे सियोल में विरोध प्रदर्शन बढ़ गया, जिसमें राष्ट्रपति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई. उन्हें सत्ता से बाहर करने की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड में भारी भीड़ ने संसद के बाहर प्रोटेस्ट किया. राष्ट्रपति पद पर बने रहने के बावजूद, यून सुक योल और उनके करीबी सहयोगियों पर कई जांचें चल रही हैं, जिनमें कथित विद्रोह की जांच भी शामिल है.
न्याय मंत्रालय ने पिछले दिनों पुष्टि की कि यून पहले दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति हैं, जिन पर पद पर रहते हुए देश छोड़ने पर बैन लगा है. पिछले हफ्ते, राष्ट्रपति यून ने उत्तर कोरिया समर्थित ‘देश-विरोधी’ और ‘कम्युनिस्ट’ ताकतों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए आपातकालीन मार्शल लॉ का ऐलान किया था.
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