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    दक्षिण कोरिया इस बात को लेकर परेशान, 16 अरब रुपये खर्च किए फिर भी…

  • December 05, 2022

    सियोल: दक्षिण कोरिया में यह शिशु मेलों (Baby Fair) का मौसम है. मेले के व्यस्त हॉल में शोर-शराबे के बीच सैकड़ों विक्रेता आने वाले दिनों में माता-पिता बनने वालों को वह हर चीज बेचने की कोशिश कर रहे हैं जो उनके आनंद में थोड़ा इजाफा कर सकती है. उन तमाम चीजों को भी यहां बेचने की कोशिश की जा रही है जिसके बारे में माता-पिता जानते भी नहीं हैं कि उन्हें इसकी जरूरत भी है या नहीं. लेकिन यह व्यवसाय अब सिकुड़ रहा है और ग्राहकों की संख्या भी घट रही है.

    CNN के अनुसार दक्षिण कोरिया ने हाल ही में दुनिया की सबसे कम प्रजनन दर का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है. नवंबर में जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि एक दक्षिण कोरियाई महिला के जीवनकाल में बच्चों की औसत संख्या घटकर केवल 0.79 रह जाएगी. यह स्थिर जनसंख्या बनाए रखने के लिए आवश्यक 2.1 दर से काफी नीचे है और अन्य विकसित देशों की तुलना में भी कम है जहां दर गिर रही है. बताते चलें कि जापान जिसने 1.3 रिकॉर्ड पर अपनी सबसे कम दर की सूचना दी है. वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1.6 दर की सूचना दी है.


    सितंबर में एक नर्सरी की यात्रा के दौरान, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल ने स्वीकार किया कि पिछले 16 वर्षों में जनसंख्या को बढ़ावा देने की कोशिश में 200 मिलियन डॉलर (20 करोड़ डॉलर या लगभग 16 अरब, 33 करोड़ रुपये) से अधिक खर्च किए गए हैं. मई में पदभार ग्रहण करने के बाद उनके प्रशासन ने कम प्रजनन दर की समस्या को हल करने के लिए एक समिति की स्थापना की. इसके साथ ही प्रजनन दर को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता का भी वादा किया. यून प्रशासन के अनुसार 1 साल तक के बच्चों वाले माता-पिता के लिए मासिक भत्ता मौजूदा 300,000 वॉन से बढ़कर 2023 में 700,000 वॉन (230 डॉलर से 540 डॉलर) और 2024 तक यह 1 मिलियन कोरियाई वॉन (770 डॉलर) हो जाएगा.

    वहीं दक्षिण कोरियाई जनता को यून के इरादे पर संदेह है. उनका मानना है कि यून के पास अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में इस समस्या पर कोई बेहतर पकड़ नहीं है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा समस्या का हल जो यून प्रशासन द्वारा किए जाने का दावा किया जा रहा है वह बहुत अधिक एक आयामी है. ‘थ्रो-मनी-एट-इट’ दृष्टिकोण से इसका समाधान नहीं किया जा सकता है. इस दृष्टिकोण को अपनाने के बजाय बच्चे के जीवन भर निरंतर समर्थन की आवश्यकता है.

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