बेला-बेला । दक्षिण अफ्रीका (South Africa) ने अक्तूबर में 12 चीते (Cheetah) भारत (India) भेजने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन्हें भारत पहुंचाने की यात्रा के लिए तीन से पांच दिन तक बेहोश रखा जाएगा, इस वजह से प्रक्रिया को चीतों के लिए बेहद जटिल और संवेदनशील मानते हुए पूरी सावधानी रखी जा रही है। इससे पहले सितंबर में ही 8 चीते नामीबिया (Namibia) से भी भारत लाए जा रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका इसी सप्ताह चार चीते मोजांबिक भेज चुका है, लेकिन भारत लाए जा रहे चीतों की यात्रा इससे कहीं मुश्किलों भरी होंगी। दक्षिण अफ्रीका के प्रोजेक्ट से जुड़े वन्यजीव चिकित्सक एंडी फ्रेजर ने बताया कि किसी वन्य जीव के लिए भी स्थान परिवर्तन बेहद तनाव भरा समय होता है। उन्हें ट्रैक्यूलाइज करके लाया जाता है और ‘बोमा’ (बाड़-बंदी वाला क्षेत्र) में रखा जाता है। यहां रहना चीतों को मुश्किल लगता है क्योंकि वे विचरण नहीं कर पाते।
500 चीते भारत में जरूरी
दक्षिण अफ्रीका में चीता मेटापॉपुलेशन इनीशिएटिव प्रोजेक्ट (सीएमआईपी) के प्रबंधक विन्सेंट वान डेर मर्व ने कहा कि नामीबिया से 8 और अफ्रीका से 12 चीते काफी नहीं होंगे। अगर भारत में अनुवांशिक रूप से खुद को बढ़ाने वाली चीतों की आबादी बसानी है तो आने वाले वर्षों में कम से कम 500 चीतों की जरूरत होगी।
हिरण का शिकार सीखने पर खुले जंगल में छोड़ेंगे
भारत पहुंचे चीतों को सुरक्षित रखना भी चुनौतीपूर्ण होगा। इनके लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चुना गया है। यहां पहले से मौजूद तेंदुए और भालू उनके लिए खतरा न बनें इसलिए चीता संरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं। यहां चीतों को हिरण और काले हिरण शिकार के रूप में मिलेंगे। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि कुछ महीनों में इनका शिकार सीख लेने पर रेडियो कॉलर लगाकर उन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।
हर साल 8 से 12 चीते भेजेगा अफ्रीका
आबादी बढ़ाने का लक्ष्य ध्यान में रख दक्षिण अफ्रीका हर साल 8 से 12 चीते भारत भेजता रहेगा।
इससे मौजूदा आबादी में नये जीन्स वाले चीते पहुंचेंगे। उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका में सालाना 8 फीसदी की दर से चीते बढ़ रहे हैं।
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