कुछ और भी हैं मेरे किरदार की तस्वीरें
मैं वो नहीं जो मुझे दोस्तों ने समझा है
ये विवेक सावरीकर हैं। मृदुल तखल्लुस करते हैं। इन भाई मियां… अरे नको रे बाबा, इने तो हम भाऊ के नाम से पुकारते हैं। तो साब भाऊ को आप किस किरदार में देखना चाहेंगे…! ये एक भेतरीम थियेटर और फिल्म आर्टिस्ट हैं। गोया के जिस किरदार में भी घुसते हैं उससे बाहर निकलने में इने वखत लगता हेगा। विवेक हिंदी और मराठी ज़बानो का थियेटर दिलोजान से करते हैं। तकरीबन तीस बरस हो गए होंगे इने नाटक नौटंकी करते हुए। नाटक के हर आयाम में भाऊ माहिरे फन हैं। मोसिकार ये हैं, गुलूकार (गायक) ये हैं, गीतकार ये हैं, डायरेक्टर ये हैं। इनके किरदारों की बात झईं खतम नई होती साब…। भोपाली थियेटर का जिक्र विवेक सावरिकर मृदुल के बिना अधूरा है। ये भेतरीन नक्काद (कला समीक्षक) भी हैं। हिंदी और मराठी की गजलों और नज्मों के लिए भी ये जाने जाते हैं। इनके लिखे पंछी ऐसे आते हैं, जेनेश्वर स्वयंसिद्धा और दीपशिखा नाटक बड़े चर्चित हुए। आषाढ़ का एक दिन, वोल्गा से गंगा, कन्यादान, डेथ ऑफ सेल्समैन और डंक सहित सैकड़ों नाटकों में इनके निभाए किरदारों को याद किया जाता है। सूखे दरख़्त नाम के नाटक में इन्ने इत्ता जज्बाती किरदार निभाया हेगा साब के देखने वाले डिड्डीया डिड्डिया के रोने लगते हैं। इसका डायरेक्शन बी विवेक ने ही किया है। नाटककार में जो डिसिप्लिन, तमीज और तहजीब होती है वो विवेक की पर्सनेलिटी में हमेशा दिखाई देती है। भाऊ ने फिल्मो, टीवी सीरियल्स और वेब सीरीज में बी अपना हुनर खूब दिखाया। प्रकाश झा की आरक्षण के अलावा वाह ताज और दुर्गामती फिल्मों में इन्होंने उम्दा रोल करे। उडऩछू और बौछारे इश्क विवेक की आने वाली फिल्में हैं। नोकरी है जिंदगी नाम की वेब सीरीज में भी इनका यादगार रोल है। वैसे कामना, क्राइम अलर्ट और सावधान इंडिया टीवी सीरियलों में भी ये नुमायां हो चुके हैं। विवेक हिंदी, मराठी और अंग्रेजी के अलावा रशियन जुबान की भी अच्छी जानकारी रखते हैं। इने कई स्टेट और नेशल लेवल के अवार्डों से नवाजा जा चुका है। विवेक फिलहाल माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवम संचार विश्व विद्यालय में उप कुलसचिव के ओहदे पे काम करते हैं। बढ़े चलो भाऊ। सूरमा की ढेरों मुबारकबाद।
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