आषाढ़ की सुबह बहुत दुख भरी खबर लेके आई। भोपाल ही नहीं पूरे सूबे के जाने माने और हरदिल अजीज पत्रकार सर्वदमन पाठक 72 साल की उमर में इंतकाल फरमा गए। इस खबर से भोपाल के सहाफियों में अफसोस पसरा हुआ है। बीती रात कोई 9 बजे त्रिलंगा के अपने घर में उन्हें दिल का शदीद दौरा पड़ा और चंद लम्हों में मौत का फरिश्ता उन्हें मुल्के अदम में उड़ा ले गया। सर्वदमन जी गुजिश्ता तकरीबन बीस बरसों से दैनिक जागरण भोपाल में न्यूज एडिटर थे। उन्हें मल्टी टास्किंग जर्नलिस्ट माना जाता था। सेंट्रल डेस्क के अलावा उनके पास संडे मैगजीन का काम भी था। करंट इश्यूज पे वो जोरदार आर्टिकल भी लिखते। जागरण से पहले उन्होंने दैनिक भास्करऔर दैनिक नईदुनिया में भी लपक काम किया। उनका काम और कलम ही उनकी पहचान थी। कोरोना काल में जागरण मैनेजमेंट ने उन्हें घर से काम करने की सहूलत दे रखी थी। पाठक जी फिर भी कई बार दफ्तर आ जाते। कहते घर में अकेले दिल नहीं लगता तो चला आया। मौत से कुछ घंटे पहले यानी शाम 7 बजे तक वो घर से अखबार का काम निपटा रहे थे। इसी बीच उन्हें कुछ बैचेनी हुई। थोड़ी देर उन्होंने रिलेक्स किया। उन्हें एक उल्टी हुई और घर पर ही उनके प्राण पखेरू उड़ गए। घर पे उनकी शरीके हयात थीं जो उन्हें लेके अस्पताल गईं। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पाठक जी वहां चले गए थे जहां से कोई वापस नहीं आता। सर्वदमन जी का एक बेटा और बहु दूसरे शहर में सॉफ्ट वेयर इंजीनियर हैं। बेटी दामाद जयपुर में डॉक्टर हैं। आज दोपहर 2 बजे भदभदा विश्राम घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। वे बेहद ईमानदार और कमीटेड जर्नलिस्ट थे। अपने शुरुआती जीवन में उन्होंने काफी अभाव और संघर्ष भरा जीवन जिया। बच्चों के अच्छी नोकरी में सेट हो जाने पर वे बहुत आराम आराइश और सुकून की जिंदगी जी रहे थे। उनकी खासियत थी कि वो दोनो हाथो से लिख लेते थे। पत्रकारिता के नए दौर में वो कम्प्यूटर और नेट फ्रेंडली हो गए थे। इस उमर में भी वे किसी नौजवान पत्रकार से भी तेज रफ्तार में काम कर रहे थे। वे जितने अच्छे पत्रकार थे उससे कहीं ज्यादा बेहतर इंसान थे। सर्वदमन पाठक कई पत्रकारों के उस्ताद थे। उन्हें किसी को भी सिखाने से गुरेज नहीं था। यकीनन वे बहुत याद किए जाएंगे। उन्हें खिराजे अकीदत।
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