आसान नहीं है डगर… छोडक़र घर सोनकर पहुंच गए सोनकच्छ….
जल्दी घोषित हुई उम्मीदवारी पर दोहरी चुनौतियों से संघर्ष
इंदौर। अब तक सांवेर (Sanwer) में अपनी पद, प्रतिष्ठा और जीत के लिए संघर्ष करते रहे राजेश सोनकर (Rajesh Sonkar) अपने नए क्षेत्र में संघर्ष करने के लिए तैयार हो चुके हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जनसिंह वर्मा से टक्कर के लिए पार्टी ने उन्हें सबसे पहले प्रत्याशी घोषित कर तैयारियों के लिए भरपूर मौका दे दिया, लेकिन टिकट मिलते ही स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करते सोनकर ने जहां पहले सोनकच्छ की राजनीतिक, सामाजिक परिस्थितियों को पढ़ा, कार्यकर्ताओं की ताकत को समझा, वहीं अब विरोधियों को साधने में जुट गए हैं। सोनकर का मानना है कि स्थिति सामान्य होती जा रही है और कार्यकर्ता जुटने लगे हैं।
सांवेर में तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) से हारे राजेश सोनकर को जहां पिछले चुनाव में खुद तुलसी को जिताने में जुटना पड़ा, वहीं पार्टी ने उनकी इस सहज स्वीकार्यता के बदले में उन्हेें पार्टी का जिलाध्यक्ष बना दिया और अब तुलसी की राह आसान और सोनकर को भी पुरस्कृत करने के लिहाज से हारी हुई सीट को जिताने का मौका नहीं, बल्कि चुनौती में डाल दिया। सोनकर का टिकट घोषित होते ही जहां उनके लिए एक ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जन वर्मा को हराने की चुनौती है, वहीं क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को भी एकजुट करने और विश्वास में लाने की भी चुनौती है। सोनकर का मानना है कि वे कार्यकर्ताओं के बल पर ही इस चुनाव को जीतने में कामयाब होंगे, साथ ही विरोधियों को भी अपना बना लेंगे। सोनकर के इस प्रयास को कामयाब बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं ने भी मैदान पकड़ लिया है।
टिकट घोषित होते ही विरोध झेलने के बाद सबसे पहले सोनकर ने वरिष्ठ नेताओं को विश्वास में लेने का प्रयास किया और टिकट घोषित होने के दस दिन बाद 28 अगस्त को कार्यालय का उद्घाटन किया। कार्यालय उ्द्घाटन में टिकट का विरोध करने वाले कुछ नेता तो मौजूद थे, लेकिन कई नेताओं ने दूरी बनाकर अपने रूठे होने का संकेत पार्टी तक पहुंचा दिया। कार्यालय उद्घाटन के बाद सोनकर ने अपना स्थायी पता भी बदलकर सोनकच्छ कर लिया। अब वे अपने परिवार के साथ ही क्षेत्र में जा बसे हैं। उन्होंने कहा कि वे कार्यकर्ताओं के बूते पर इस चुनाव में जीत हासिल करके दिखाएंगे। अपने विधानसक्षेत्र की पढ़ाई पूरी कर चुके सोनकर ने बताया कि सोनकच्छ में 260 गांव हैं, वहीं पार्टी के मंडल और शक्ति केन्द्र के साथ ही बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और कार्यकर्ता भाजपा की चुनावी जीत के केन्द्र हैं।
सज्जन के धन-बल से संघर्ष : सोनकर
राजेश सोनकर का कहना है कि सोनकच्छ में उनका संघर्ष कांग्रेस में मंत्री रहे सज्जन वर्मा के धन-बल से होगा। वे चुनाव को प्रभावित करने के लिए करोड़ों रुपए फूंकने का प्रयास करेंगे, जो उन्होंंने डेढ़ साल के शासन में भ्रष्टाचार के जरिए कमाया था। हालांकि जीतने के बाद भी क्षेत्र के लोगों से संपर्क नहीं रखने और विकास की कोई पहल नहीं किए जाने के कारण उनका धन-बल कोई काम नहीं आएगा।
तुलसी को भेजना था सोनकच्छ… मुझे भिजवा दिया…
दबी जुबान में राजेश सोनकर कहते हैं कि पार्टी ने कांग्रेस से भाजपा में आए तुलसी सिलावट को न केवल सांवेर विधानसभा से टिकट दिया, बल्कि हमने उन्हें भारी मतों से चुनाव भी जितवाया। इसके साथ ही पार्टी ने उन्हें वरिष्ठतम दर्जा देते हुए न केवल कैबिनेट मंत्री बनाया, बल्कि उनका कद भी बढ़ाया। तुलसी सिलावट अब प्रादेशिक नेता बन चुके हैं। ऐसे में उन्हें टक्कर के नेता से लडऩे के लिए सोनकच्छ भेजना चाहिए था, लेकिन यदि पार्टी ने यह जिम्मेदारी मुझे सौंपी है तो मैं भी भरपूर प्रयास करूंगा और सीट जीतकर दिखाऊंगा, लेकिन पार्टी को इस क्षेत्र के लिए तुलसी सिलावट को आजमाना था, ताकि क्षेत्र के नेताओं में यह संदेश जाता कि पार्टी इस सीट को कितनी गंभीरता से लेती है
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved