नई दिल्ली। कांग्रेस में पूर्णकालिक अध्यक्ष संगठनात्मक बदलाव को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल कुछ ने अपनी बातों का बचाव करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि उन्हें विरोधी न समझा जाए। पार्टी नेतृत्व पर उनका भरोसा अब भी दृढ़ है। हमारी कोशिश पार्टी को फिर से मजबूत करने की थी।
पत्र लिखने वाले नेताओं में शामिल राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने ट्वीट किया, “हम विरोधी नहीं हैं, बल्कि पार्टी को फिर से मजबूत करने के पैरोकार हैं। यह पत्र नेतृत्व को चुनौती देना नहीं था, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के उद्देश्य से कदम उठाने के लिए था। चाहे अदालत हो या फिर सार्वजनिक मामले हों, उनमें सत्य ही सर्वश्रेष्ठ कवच होता है। इतिहास कायरों को नहीं बहादुरों को स्वीकारता है।”
तन्खा के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक ने कहा कि इस पत्र को अपराध के तौर पर देखने वालों को आज नहीं तो कल अपनी गलती का अहसास होगा। उन्होंने कहा कि पत्र में उठाए गए मुद्दे विचार योग्य हैं।
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने विवेक तन्खा के ट्वीट पर रिप्लाई कर कहा कि बहुत सही बात कही आपने। पत्र पार्टी के हित को ध्यान में रखकर लिखा गया था। खेड़ा ने लिखा, “ख़ूब कहा। पत्र हमारे दिलों में पार्टी के सर्वोत्तम हित के साथ लिखा गया था और देश में वर्तमान माहौल पर साझा चिंताओं को व्यक्त किया। भाजपा से भिड़ने के लिए भारत को एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है। ईमानदारी से पार्टी के नवीनीकरण के सुझाव असंतुष्ट नहीं हैं। काश सभी साथियों ने इसे पढ़ा होता।”
उल्लेखनीय है कि बीते दिन सोमवार को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक 23 नेताओं के लिखे पत्र को लेकर हंगामेदार रही थी। हालांकि आखिर में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बिठाना तय हुआ। इस दौरान कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई ने नेताओं को पार्टी अनुशासन व गरिमा बनाए रखने के लिए अपनी बातें पार्टी के मंच पर रखने की नसीहत दी। सभी को स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि किसी को भी पार्टी व इसके नेतृत्व को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। (एजेंसी, हि.स.)
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