मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में तेजी से बदल रहे सियासी खेल (political game) में शनिवार को अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) ने फोन पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) को दिलासा दिया है। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने उद्धव ठाकरे से कहा कि संकट के समय कांग्रेस पार्टी उनके साथ है। इस बीच शिवसेना के एक जिलाध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस तरह शिवसेना में विधायकों की फूट अब संगठन तक पहुंचती नजर आने लगी है।
महाराष्ट्र में 20 जून को विधानपरिषद का चुनाव होने के बाद शिवसेना के नाराज विधायक गुजरात के सूरत चले गए थे। इसके बाद इन विधायकों को एयर लिफ्ट के माध्यम से असम के गुवाहाटी में स्थित होटल में शिफ्ट किया गया। इन विधायकों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को कांग्रेस-राकांपा का साथ छोड़ने तथा भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने की मांग की है। इसे लेकर महाराष्ट्र में सियासी गतिरोध जारी है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भाजपा के साथ जाने से साफ मना कर दिया है और बगावत करने वाले विधायकों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। उद्धव ठाकरे के इस रुख को देखते हुए शुक्रवार को राकांपा नेता शरद पवार उनसे मिले थे। आज सोनिया गांधी ने भी फोन कर उद्धव ठाकरे से कहा कि कांग्रेस पार्टी संकट की इस घड़ी में शिवसेना के साथ है।
इधर, शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे ने ठाणे में जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने शिवसैनिकों को एकनाथ शिंदे तथा अन्य विधायकों के नाराज होने का कारण बताने का भी प्रयास किया। इसके बाद ठाणे शिवसेना जिलाध्यक्ष नरेश म्हास्के ने अपने पद का इस्तीफा शिवसेना के मुख्य कार्यालय में भेज दिया है। नरेश म्हास्के ने कहा कि उन्होंने शुरुआत की है, अब संगठन के कई पदाधिकारी भी शिवसेना पार्टी से इस्तीफा देने वाले हैं।
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे ने शनिवार को ठाणे में जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया। इस शक्ति प्रदर्शन में शिवसेना के तमाम पार्षद, महापौर और सैकड़ों शिंदे समूह के कार्यकर्ता उपस्थित थे। इस दौरान श्रीकांत शिंदे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस पर शिवसेना को दबाने का आरोप लगाया।
सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि विधायकों के जाने में कुछ तथ्य है। ढाई साल में, पार्टी का ग्राफ नीचे चला गया है। दोनों दलों ने शिवसेना को दबाने की कोशिश की। विधायक चाहते थे कि पार्टी बढ़े। हमने शिवसेना नेतृत्व से बहुत शिकायत की, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इसी वजह से शिवसेना के विधायकों को इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि शिंदे के साथ, शिवसेना के 40 विधायक और 10 निर्दलीय विधायक हैं। यह इतिहास में पहली बार होगा जब इतनी बड़ी संख्या में विधायकों ने एकनाथ शिंदे में विश्वास दिखाया है। यह सोचने का सवाल है कि इतने लोग क्यों मौजूद हैं। शिंदे के साथ लगभग 50 विधायक हैं।
श्रीकांत शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे पिछले ढाई साल से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। राकांपा और कांग्रेस भी सत्ता में हैं। जमीनी कार्यकर्ता हमसे एक अच्छे मुख्यमंत्री की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह कार्यकर्ता रो रहा है। उन्होंने सोचा था कि जब वह सत्ता में आएंगे, तो सड़क बन जाएगी।
शिंदे ने कहा कि मैं आपको बताना चाहूंगा कि उद्धव ठाकरे ने हमारे सभी सांसदों को शिव संपर्क अभियान में भेजा था। उन्होंने हमें महाराष्ट्र की स्थिति देखने के लिए भेजा था। मैं खुद परभणी, सातारा गया था, लेकिन हमें फंड नहीं मिल रहा है। हम इस तरह से कैसे काम कर सकते हैं, हमें धन नहीं मिलता है। आज हम सत्ता में रहते हुए भी हमें धन नहीं मिलता है। इस शक्ति का क्या उपयोग है यदि हमें कार्यकर्ताओं और लोगों को न्याय नहीं मिल सकता। इसी वजह से शिवसेना के खिलाफ हमें बगावत करनी पड़ी है। (एजेंसी, हि.स.)
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