नई दिल्ली । सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) फिर से (Again) कांग्रेस संसदीय दल की नेता (Leader of Congress Parliamentary Party) चुनी गईं (Elected) । संसद के सेंट्रल हॉल में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को सर्वसम्मति से कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की नेता चुन लिया गया । बैठक में सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी के अलावा अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया, “साथियों, चुनाव के बाद कांग्रेस संसदीय दल की पहली बैठक में आप सभी सांसदों का मैं स्वागत करता हूं। मैं सभी नव-निर्वाचित सांसदों को जीत की बधाई देता हूं। आप सभी ने इन विपरीत हालात में चुनाव लड़ा और जीते। सत्तापक्ष ने कांग्रेस के खाते बंद कर दिये, कई नेताओं को सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग कर परेशान किया गया। ऐसे में चुनकर आने के लिए विशेष बधाई।” उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री, कई मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने हमारे मेनिफेस्टो के बारे में झूठ फैलाया। अपने भाषणों से प्रधानमंत्री ने नफरत फैलाने और मतदाताओं को बांटने का काम किया।
उन्होंने कहा, मैं कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्षा सोनिया गांधी को उनके बहुमूल्य मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देता हूं। सीपीपी की अध्यक्षता करते हुए, संसद में और पार्टी अध्यक्ष के रूप पूरे देश में इन्होंने वर्षों हम लोगों का नेतृत्व किया। राहुल गांधी की ऐतिहासिक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ ने कांग्रेस के चुनावी अभियान को नयी दिशा और ताकत दी। मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। 2024 में किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। भाजपा ने एक व्यक्ति- एक चेहरे के नाम पर वोट मांगा। पर जनादेश उनके खिलाफ रहा। कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही संविधान और लोकतंत्र पर खतरा, संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों और मजदूरों की बदहाली तथा गरीबों की दिक्कतों को मुख्य मुद्दा बनाया।
सीपीपी अध्यक्षा, सोनिया गांधी के नेतृत्व में हम लगातार इन मुद्दों को संसद में उठाते रहे। बाहर विरोध प्रदर्शन करते रहे। काफी मेहनत हुई, तब ये लोगों के मुद्दे बने। सोनिया गांधी के करिश्माई नेतृत्व, मेहनत और अनुभव की वजह से हमें सहयोगी दलों से अच्छे तालमेल का लाभ मिला। संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न दलों के सांसदों के बीच एक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बना। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि साथियों, आप सभी को एक महत्वपूर्ण अवसर मिला है। जनता ने आपको देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजा है। आपके क्षेत्र के लोगों की आपसे बहुत उम्मीदें हैं, जिन पर आपको खरा उतरना है। कांग्रेस पार्टी को जनता ने जो दायित्व दिया है, वो आपको- हमको मिल कर निभाना है।
पिछले 10 सालों में संसद में विपक्ष के अधिकारों को लगातार सीमित किया गया। सवाल पूछना हो, चर्चा के लिए समय मांगना हो, विधेयकों को समितियों में भेजना हो, सरकार का ध्यान ज्वलंत मुद्दों पर खींचना हो, बीजेपी ने हर कदम पर अवरोध पैदा किया। अपने प्रचंड बहुमत से विपक्ष को रोका। हमारे संख्या बल का मजाक भी उड़ाया। प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते कि विपक्ष जनता के मुद्दों को सदन में उठाए। वो विपक्ष के सवालों का जवाब देना अपनी तौहीन समझते हैं। प्रधानमंत्री कल जब संविधान को माथे से लगा रहे थे तो वो भूल गए कि पिछले 10 सालों में उन्होंने किस कदर संवैधानिक परंपराओं की धज्जियां उड़ाई। संसद और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया है। अपमान किया है।
पिछली बार शीतकालीन सत्र में विपक्षी पार्टियों के एक सौ छियालीस (146) सांसदों को इसलिए सस्पेंड किया कि वो संसद की सुरक्षा पर चर्चा की मांग कर रहे थे। मोदी सरकार में बिना बहस के दर्जनों महत्वपूर्ण बिल पास हो गए। तीन काले कृषि क़ानून, लेबर कोड, क्रिमिनल लॉ जैसे तमाम बिल शोर-गुल में पास हो गए। हम तब भी अनुशासन के साथ लड़े थे। विपक्ष में हमारी क्या जिम्मेदारियां हैं, ये हमें पता है। फिर से आप-हम मिल कर नयी ताकत से जनता की आवाज बुलंद करेंगे। संसद में हम अवरोध के लिए नहीं बल्कि चर्चा और संवाद के लिए आते हैं। हम सकारात्मक हस्तक्षेप चाहते हैं, पर प्रधानमंत्री सत्ता में रह कर भी गतिरोध पैदा कराते हैं।
सरकार की ये साजिश 10 साल से चल रही है। वो ख़ुद गतिरोध पैदा करते हैं और जनता की नज़र में हमे गुनहगार बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए हमें उनकी इन चालों से सतर्क रहना है। अपनी बात खत्म करने के पहले मैं आपको कहना चाहूंगा कि ये सरकार चाहेगी कि संसद कम से कम चले। पिछली 17वीं लोक सभा सिटिंग के लिहाज से 1952 से अब तक की सबसे छोटी लोक सभा थी। और 5 साल में केवल 274 बैठकें हुईं। कई लोग आजकल नेहरू जी की बात भी कर रहे हैं, पर मैं याद दिलाना चाहता हूं कि उनके दौर में पहली लोक सभा में 677 बैठकें हुई थीं, लंबी चर्चाएं हुई थीं। सोनिया गांधी यहां बैठी हैं। वो यूपीए की चेयरपर्सन थीं। यूपीए-1 में लोकसभा की 332 और यूपीए-2 में 356 सीटिंग हुई थी।
आप सभी साथियों को लगातार जनता से जुड़े रहना है। और यह भी सुनिश्चित करना है कि जनता भी आपसे लगातार जुड़ी रहे। उनकी मुश्किलों और दिक़्क़तों पर आप लगातार गौर करें। सुनवाई करते रहें। संसद में अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को उठाते रहें। जो काम आप करते हैं वह क्षेत्र की जनता तक निरंतर पहुंचता रहे। जिन मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ा, आपको हमेशा इनको सबसे अधिक प्राथमिकता में रखना है। विरोधियों को बार बार बताते रहना है कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक न्याय हमारे स्थायी एजेंडे है।
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