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    कही अनकही

  • July 11, 2020

     – जीतू सोनी के लिए कभी आफत बने प्रशासन ने की राहत की सौदेबाजी… धड़ाधड़ निपटेगी पूछताछ
    सात माह पहले यकायक जीतू सोनी पर कहर बनकर टूटा इंदौर का प्रशासन अब राहत की सौदेबाजी पर उतर आया है। पहले चार दिनों की पूछताछ में पुलिस का एक ही सवाल था कि हनी ट्रैप के सबूत कहां हैं, लेकिन खामोशी अख्तियार किए जीतू सोनी ने पुलिस के आला अफसरों को साफ-साफ कह दिया था कि यदि वे कुछ हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें भी राहत की सौदेबाजी करना होगी। जीतू का कहना था कि उस पर लगाए गए सारे आरोप बेदम हैं। उस पर लगाए गए सारे इल्जाम अदालतों में टिक नहीं पाएंगे। पुलिस यदि उन आरोपों को शिथिल कर दे या अपनी पूछताछ में उसे राहत दे तो वह पुलिस के साथ सहयोग के लिए तैयार रहेगा। चार-पांच दिनों की मशक्कत के बाद पुलिस ने हथियार डाल दिए और जीतू से राहत की सौदेबाजी मुकम्मल कर ली। अब उस पर लगाए गए 70 से अधिक प्रकरणों की पूछताछ धड़ाधड़ निपटाई जाएगी। यह तब साबित हो गया, जब मानव तस्करी जैसे बेदम आरोप में 6 दिनों तक पूछताछ करने वाली पुलिस ने रेप जैसे मामले की पूछताछ केवल दो दिनों में निपटा दी और अब 16 से अधिक प्रकरणों की पूछताछ के लिए उसे चार दिनों का रिमांड मिला है और यह तय है कि आगे भी ये रिमांड नहीं बढ़ाया जाएगा। जितनी जल्दी हो सकेगा पुलिस पूछताछ मुकम्मल करने के बाद जल्दी से जल्दी चालान पेश कर जीतू सोनी की सौदेबाजी को मुक्कमल करेगी, तब जाकर उसे हनी ट्रैप से जुड़े सबूतों की जानकारी मिल सकती है।

    सीधे हैं सिलावट… चरित्र में नहीं कोई मिलावट…
    भाजपा में नए-नए मंत्री बने पुराने कांग्रेसी तुलसी सिलावट से जब भाजपाई रूबरू हो रहे हैं तो उन्हें उनके सीधेपन का एहसास हो रहा है। तुलसी बातों ही बातों में जहां भाजपा के कार्यकर्ताओं को रिझाने का काम कर रहे हैं, वहीं उनका सामान्य व्यवहार लोगों को लुभा रहा है। अब ऐसे में सांवेर में सुर उठने लगे हैं कि कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू से तो तुलसी सिलावट का चुना जाना ज्यादा उचित रहेगा। वैसे भी यदि तुलसी सिलावट पर दलबदल का आरोप लगाया भी जाए तो प्रेमचंद गुड्डू भी इससे अछूते नहीं हैं, इसलिए तुलसी सांवेर में लोकप्रिय होते जा रहे हैं।

    युवती के सवाल का जवाब तो था, पर दे नहीं पाए
    पिछले दिनों मंत्री तुलसी सिलावट पर सत्ता गिराने का आरोप लगाकर सुर्खियों में आई युवती के सवालों का जवाब तो था, लेकिन अचानक उठे अप्रत्याशित प्रश्न के कारण सिलावट अनमने हो गए और जवाब नहीं दे पाए। हालांकि इस प्रश्न का जवाब वे कई मंचों पर दे चुके हैें और बता चुके हैं कि कांग्रेस की सरकार के रहते जनता से किए वादे न पूरे हो रहे थे और न ही सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लग रहा था, इसलिए मजबूर होकर सत्ता परिवर्तन जैसा कदम उठाना पड़ा। अब चर्चा तो यह भी है कि युवती यह हिम्मत इसलिए कर पाई कि जहां यह सवाल उठा वहां चुनाव की जिम्मेदारी लेने वाले विधायक रमेश मेंदोला मौजूद नहीं थे। वे हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में जगह नहीं पाने के कारण उन दिनों उदास बैठे हुए थे।

    सोने जैसे बढ़े रेत के दाम
    जिस तरह पीली धातु ने जौहरी बाजार में तहलका मचा दिया, जब सारे कारोबार बंद पड़े हैं, लोग खाने को मोहताज हैं, ऐसे समय में सोने के दाम 30 हजार से बढक़र 50 हजार रुपए तोला तक जा पहुंचे। एक ओर जहां सोना सिर चढक़र बोल रहा है, वहीं रेत के दाम भी दोगुने हो चुके हैं, जबकि पूरे देश में निर्माण कार्य ठप पड़े हैं। चलते प्रोजेेक्ट रोक दिए गए हैं। मजदूर मिल नहीं रहे हैं। रेत की डिमांड घट चुकी है, तब भी रेत की कालाबाजारी सिर पर है, क्योंकि इसमें अधिकारियों से लेकर नेताओं तक का हाथ है।

    ये दोस्ती हम कैसे छोड़ेंगे
    कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी इन दिनों बड़ी मुश्किल मेें हैं। इसका कारण साफ है कि कांग्रेस की सरकार के वक्त उनके साथी रहे तुलसी सिलावट से पटवारी की जमकर पटती थी। यहां तक कि दोनों साथ मिलकर काम करते थे और दोनों ने राजनीतिक सीमाओं के साथ अपनी प्रतिबद्धता भी साझा कर ली थी। अब जब पटवारी को तुलसी के खिलाफ मैदान में लगाया गया है तो उनकी मुसीबत यह है कि अब तक तुलसी का गुणगान कर रहे पटवारी अपनी दोस्ती कैसे छोड़ें।

    अब जाकर कलेक्टर ने मेंदोला को पहचाना… तारीफ करते नहीं थकते…
    जब कलेक्टर मनीषसिंह निगमायुक्त थे, तब इंदौर के स्वच्छता अभियान और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के विकास के दौरान किसी नेता का कोई आगा-पीछा नहीं देख रहे थे। इसी दौरान क्षेत्र क्रमांक 4 में सडक़ चौड़ीकरण के दौरान मेंदोला समर्थक विजय पांडे का हिस्सा जब निशाने पर आया, तब पांडे की तरफदारी में उतरे मेंदोला की अनदेखी करने पर मनीषसिंह से मेंदोला का अबोला हो गया था। यहां तक कि विधायक निगमायुक्त से अपने क्षेेत्र के बारे में भी बात तक नहीं करते थे। मनीषसिंह की निगाहों में भी विधायक को लेकर संशय बना रहता था, लेकिन कोरोना काल के दौरान जिस तरह कलेक्टर मनीषसिंह से मेंदोला की नजदीकियां बढ़ीं और उन्होंने विधायक का क्षेत्र के लोगों के प्रति समर्पण भाव देखा और यह भी महसूस किया कि असंभव कार्य भी मेंदोला संभव कर दिखाने की क्षमता रखते हैं तो उनकी न केवल विचारधारा बदल गई, बल्कि अब जब भी प्रशासनिक बातें होती हैं तो कलेक्टर मेंदोला की तारीफ करते नहीं थकते हैं।

    ग्रीन अस्पतालों में कोरोना इलाज… कोविड अस्पतालों की नींद उड़ी
    कलेक्टर मनीषसिंह ने बॉम्बे हॉस्पिटल सहित कई ग्रीन हॉस्पिटलों को कोरोना का इलाज करने की अनुमति दे दी। अनुमति का यह क्रम अब भी जारी है और उन सभी अस्पतालों को यह अनुमति दी जा सकती है, जिनके पास ऑक्सीजन की सुविधा हो। इन अस्पतालों में सामान्य बीमारियों के इलाज के साथ ही कोरोना का इलाज भी हो सकेगा। ऐसे में सामान्य तौर पर इलाज के लिए भर्ती कराए गए मरीज यदि कोरोना पॉजिटिव निकले तो उन्हें दूसरे अस्पतालों में भागना नहीं पड़ेगा। लेकिन कलेक्टर के इस फैसले से उन कोविड हॉस्पिटलों की नींद उड़ गई है, जिन्हें सरकार ने अनुबंधित कर रखा था। इंदौर मेें जहां अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के साथ इंडेक्स मेडिकल कॉलेज और उज्जैन का गार्डी मेडिकल कॉलेज सहित भोपाल के दो मेडिकल कॉलेज सरकार से अनुबंधित होकर हर महीने 3 से 4 करोड़ रुपए तक का मासिक किराया प्राप्त कर रहे हैं। यदि सामान्य अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों का इलाज होने लगा तो इन अस्पतालों का अनुबंध समाप्त हो सकता है और एक बड़ी रकम की कमाई बंद हो सकती है।

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    400 लोगों के गवली मोहल्ला में 10 पॉजिटिव, पूरा मोहल्ला दहशत में

    Sat Jul 11 , 2020
    आशा कार्यकर्ता जाती हैं तो लोग ताला लगाकर बंद हो जाते हैं घर में इंदौर। सरवटे बस स्टैंड से लगे गवली मोहल्ले में एक के बाद एक कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद पूरा मोहल्ला दहशत में आ गया है। यहां चार सौ लोगों की बस्ती है, लेकिन उसमें करीब 10 लोग पॉजिटिव आ गए हैं। […]
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