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    कभी ‘अश्लील’ कमेंट तो कभी सीटी मारते स्टूडेंट, परेशान टीचर्स जॉब छोड़ने को मजबूर

  • December 01, 2022

    बेंगलुरू: एक वक्त ऐसा था, जब स्टूडेंट्स टीचर्स से डरा करते थे. हालांकि, अब वक्त बदल चुका है. अब टीचर्स को स्टूडेंट्स से डरना पड़ रहा है. आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. दरअसल, इसके पीछे की वजह बेंगलुरू के स्कूलों में सामने आया केस है. बेंगलुरू में पिछले कुछ हफ्तों में कई सारे Teachers ने अपनी नौकरियां छोड़ दी हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि स्कूलों में इन टीचर्स के साथ बदतमीजी की गई है. कुछ टीचर्स ने यहां तक कहा है कि बच्चे उनसे ‘भद्दी’ और ‘अश्लील’ तरीके से बात करते हैं.

    न्यूज 18 की खबर के मुताबिक, एक महिला टीचर ने कहा, ‘मैं नॉर्थ बेंगलुरू के एक प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल में मैथ्स पढ़ाती हूं. मैं पूरी जिंदगी एक टीचर रही हूं और इससे बहुत खुश भी हूं. लेकिन कुछ वक्त से मैं इस चिंता में उठती हूं कि अब मुझे स्कूल जाना होगा और क्लास में पढ़ाना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहती हूं कि सभी स्टूडेंट्स ऐसे नहीं होते हैं, कुछ अच्छे परिवारों से होते हैं जो इस तरह का व्यवहार करते हैं. लेकिन उनका उपद्रव इतना बढ़ गया है कि मैंने अपना इस्तीफा देने का फैसला किया.’

    प्राइवेट स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने वाली एक अन्य टीचर ने कहा, ‘जैसे ही मैं क्लास में पहुंचती हूं, वैसे ही मुझे तेज सीटी की आवाजें सुनाई देती हैं. इस दौरान आ रहीं गुड मॉर्निंग की विशेज सीटी की आवाजों के बीच दब जाती है. वहीं, जब मैं किसी कविता का चैप्टर को समझा रही होती हूं, तो स्टूडेंट्स तरह-तरह के कमेंट करते हैं. वो भी ऐसा करने के दौरान उन्हें कोई खेद नहीं होता है.’


    टीचर ने बयां किया दर्द
    टीचर ने आगे बताया, ‘रोमैंस को लेकर डायलॉगबाजी और ‘आई लव यू’ बोल देना तो बहुत आम है. शायद ये कुछ ऐसा है, जिसे मैं सबसे सभ्य तरीके से सुनती हूं. कई बार स्टूडेंट्स ऐसे कमेंट करते हैं कि मैं आपको बता नहीं सकती हूं. कभी मेरे शरीर के आकार पर, मैं चलने के तरीके पर, मेरे रंग या होठों पर और पता नहीं किन किन चीजों पर स्टूडेंट्स कमेंट करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘एक बार मैंने अपनी आवाज उठाई, तो उन्होंने ऐसा बर्ताव किया जिसकी वजह से मैं रो पड़ी. मैं फिर से क्लास में नहीं जाना चाहती हूं और मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया. इस घटना के बाद से अब कुछ भी पहले जैसा नहीं है.’

    बच्चों में अनुशासन की कमी
    स्कूलों का कहना है कि एक वक्त ऐसा था, जब टीचर्स स्टूडेंट्स के खिलाफ आवाज उठाते थे. इसके बाद पैरेंट्स स्कूल आते थे और सबके सामने टीचर्स को भला-बुरा कहना शुरू कर देते थे. ये बच्चों को गलत संदेश देता था कि वे जो चाहें, वो कह सकते हैं. बच्चों के भीतर अब अनुशासन की कमी देखने को मिल रही है. वहीं, कर्नाटक एसोसिएशन ऑफ मैनेजमेंट स्कूल (KAMS) ने इस मामले पर बाल अधिकार कमीशन को शिकायत की है और उन्हें समाधान मुहैया कराने को कहा है.

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