नई दिल्ली। चीन ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार दिन शोक पुस्तक पर ताइवान के प्रतिनिधि द्वारा किए हस्ताक्षर पर कड़ा विरोध दर्ज किया है। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान दिया गया कि ब्रिटेन की ओर से ताइवान को निमंत्रण देना उसके लिए अपमानजनक है। बता दें कि ब्रिटिश महारानी के अंतिम संस्कार में शरीक होने के लिए भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत कई देशों को आमंत्रित किया गया था। इस मौके पर लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में प्रतिनिधियों ने शोक पुस्तक पर हस्ताक्षर किए थे। जिसमें ताइवान को मिले निमंत्रण पर चीन भड़का हुआ है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हम इस बात पर जोर देते हैं कि डीपीपी (ताइवान की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) के अधिकारी ने इस मौके का इस्तेमाल राजनीतिक हेरफेर के लिए किया।” बता दें कि ताइवान ने दावा किया था कि उनके राजदूत केली हसीह को ब्रिटिश सरकार द्वारा लैंकेस्टर हाउस में शोक पुस्तक पर हस्ताक्षर करने के लिए “विशेष रूप से आमंत्रित” किया गया था।
माओ ने कहा, “यह शर्मनाक है। हालांकि इस घटना से यह तथ्य नहीं बदल सकता कि ताइवान चीन का हिस्सा है। ताइवान के अधिकारियों की राजनीतिक योजना विफल होने के लिए अभिशप्त है।”
गौरतलब है कि चीन, ताइवान को अपना हिस्सा बता चुका है। इसीलिए चीन ताइवान में विदेशी सरकारों की ओर से भ्रमण का भी विरोध करता रहा है। हाल ही में अमेरिकी सीनेटर नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किय था। जिस पर चीन ने ऐतराज जताया था और युद्ध की धमकी दे डाली थी। इससे पहले चीनी उप-राष्ट्रपति वांग किशन ने रविवार को ब्रिटेन का दौरा किया था।
दो दिन बाद संसद के अधिकारियों ने कथित तौर पर चीनी प्रतिनिधिमंडल को अंतिम संस्कार में भाग लेने से रोका था। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने रिपोर्टों के हवाले से ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष लिंडसे हॉयल ने कहा कि चीनी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा ब्रिटेन में अपने राजदूत को शोक सभा में भाग लेने के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
बताते चलें कि दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की स्कॉटलैंड में बीती 8 सितंबर को बाल्मोरल एस्टेट में 96 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी। अंतिम संस्कार सोमवार को लंदन के वेस्टमिंस्टर एब्बे में किया गया।
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