मुंबई । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा, ‘‘मोदी (Modi) के सामने बोलने (Speak) के लिए किसी को (Somebody) तो हिम्मत दिखानी होगी (Show courage) । संविधान संशोधन का एकमात्र मकसद धोखा है।’’ उन्होंने केंद्र से आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय द्वारा अनिवार्य 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने और राज्यों को मौजूदा कोटा सीमा को पार करने की अनुमति देने के लिए एक कानून बनाने के लिए कहा।
पवार ने यह भी कहा कि पिछले सप्ताह राज्यसभा में हंगामे के दौरान मार्शलों द्वारा बल प्रयोग सांसदों और लोकतंत्र पर एक ‘‘हमला’’ था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सात केंद्रीय मंत्रियों को मीडिया के सामने अपने रुख को सही ठहराने के लिए मैदान में उतारा जो यह दर्शाता है कि वे एक ‘‘कमजोर विकेट’’ पर थे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि संविधान किसी भी फैसले से बड़ा है और मोदी सरकार से नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा में ढील देने और राज्यों को मौजूदा कोटा सीमा को पार करने की अनुमति देने के लिए एक संवैधानिक संशोधन लाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 15(4) और 16(4) (सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए प्रावधान और आरक्षण से संबंधित) कोटा के प्रतिशत की कोई सीमा नहीं है और इसे बढ़ाने में कोई संवैधानिक बाधा नहीं है। पवार ने केंद्र से जाति आधारित जनगणना करने को कहा और दावा किया कि केंद्र सरकार ने आरक्षण के मुद्दे पर लोगों को गुमराह किया है।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी दावा किया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने आरक्षण के मुद्दे पर लोगों को गुमराह किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ओबीसी की सूची तैयार करने संबंधी दो साल पहले छीने गये राज्यों के अधिकार को बहाल करने का संवैधानिक संशोधन महज दिखावा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब तक 50 प्रतिशत की सीमा में ढील नहीं दी जाती, तब तक मराठा कोटा बहाल नहीं किया जा सकता है। इसी तरह, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर प्रायोगिक आंकड़े राज्यों के साथ साझा किये जाने चाहिए। जब तक आंकड़े उपलब्ध नहीं होंगे, तब तक यह पता नहीं चल सकता है कि छोटी जातियों को कितना प्रतिनिधित्व देने की जरूरत है।”
पवार ने कहा कि ज्यादातर राज्यों में आरक्षण 60 फीसदी से ऊपर है। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी के सामने बोलने के लिए किसी को तो हिम्मत दिखानी होगी। संविधान संशोधन का एकमात्र मकसद धोखा है।’’ गौरतलब है कि 10 अगस्त को, लोकसभा ने राज्यों को यह तय करने की अनुमति देते हुए एक विधेयक पारित किया कि उनके यहां ओबीसी कौन हैं। 127 वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2021, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) की पहचान करने के लिए राज्यों की शक्ति को पुन: बहाल करता है।
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