इंदौर। इस सावन में खास बात यह भी है कि सावन की शुरुआत सोमवार से हुई तो समापन भी सोमवार के दिन ही होगा। इस बार सावन में सोमवती अमावस्या का संयोग 47 साल बाद आ रहा है, जबकि 20 साल बाद सावन सोमवार को सोमवती और हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है। इससे पहले 31 जुलाई 2000 को सोमवती और हरियाली अमावस्या एकसाथ थीं।
20 जुलाई को सावन सोमवार, सर्वार्थसिद्धि योग, हरियाली व सोमवती अमावस्या के साथ इस दिन को कुछ विशेष बना रहे हैं। अमावस्या पितृकृपा का दिन है। सावन सोमवार व सोमवती योग देवाधिदेव की कृपा का भी दिन है। अत: इस दिन भोले के भक्तों को शिवजी के साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। योग की बात है कि नवग्रहों में से पांच ग्रह चन्द्रमा, बुध, गुरु, शुक्र व शनि अपनी-अपनी राशियों में ही रहकर इस दिन को और भी कुछ खास बनाएंगे। इससे शिवभक्तों को ग्रहों की कृपा भी प्राप्त होगी। दुनिया में भोले, अर्थात शिव से बड़ा कोई देव नहीं है। हरियाली अमावस्या के दिन जो भक्त परिवार सहित शिव परिवार की पूजा-अर्चना करता है उसे चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस विशेष संयोग में पितृकृपा हेतु पौधारोपण का विशेष महत्व है। आचार्य रामचन्द्र शर्मा वैदिक के अनुसार विगत वर्षों जब सावन अधिक मास के रूप में आया था उस समय भी 16 वर्ष पूर्व सोमवती अमावस्या का योग निर्मित हुआ था। शिव परिवार की प्रसन्नता हेतु सोमवार को उपवास, जलाभिषेक, अर्क पुष्प व नम: शिवाय के साथ जो पांच बिल्वपत्र शिवजी को चढ़ाता है बाबा उसकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी करते हैं।
अब 2024 में बनेगा सोमवार से संयोग
श्रावण मास का आरंभ सोमवार व समाप्ति सोमवार को होने का योग पूर्व में 1976, 1990, 1997 व 2017 में बना था। आगे अब 2024 में यह अद्भुत संयोग बनेगा। उस समय 22 जुलाई सोमवार से श्रावण मास शुरू होकर 19 अगस्त सोमवार को समाप्त होगा। वर्ष 2004 में 2 सावन माह पड़े थे। अधिक मास के कारण योग बना था।
यह है हरियाली अमावस्या का महत्व
हरियाली अमावस्या पर हो सके तो एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए । सावन हरियाली और उत्साह का महीना माना जाता है, इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधारोपण किया जाता है। इस दिन पौधारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी माना जाता है।
श्रावण माह के शेष बचे पर्व
आगामी 16 जुलाई कमदा एकादशी, 20 जुलाई सोमवती-हरियाली अमावस्या, 23 जुलाई हरियाली तीज, 25 जुलाई नागपंचमी, 30 जुलाई पवित्रा एकादशी, 3 अगस्त सोमवती पूर्णिमा, रक्षाबंधन, श्रावणी उपाकर्म के साथ पवित्र सावन माह का समापन होगा।
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