मोदीनगर। गाजियाबाद जिले के मोदीनगर की शिवपुरी कॉलोनी से छह माह पूर्व चोरी हुई कार को एक सिपाही द्वारा उसका रंग बदलकर इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है। पीड़ित ने काफी प्रयास के बाद जब कार बरामद कराई तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस ने आनन-फानन में दो दिन पूर्व कार को बरामद दिखाकर एक बदमाश को गिरफ्तार कर लिया।
एसएसपी ने सिपाही को सस्पेंड कर इसकी जांच सीओ अभय कुमार को सौंप दी है। गौरव कुमार मोदीनगर की शिवपुरी कॉलोनी में परिवार सहित रहते हैं। गत अक्टूबर माह में उनकी कार चोरी हो गई थी। पीड़ित ने एक युवक को नामजद करते हुए मोदीनगर थाने में चोरी की तहरीर दी थी। बीस दिन चक्कर कटवाने के बाद पुलिस ने कार चोरी की रिपोर्ट दर्ज की थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस कार को बरामद नहीं कर पाई।
पुलिस से कोई मदद नहीं मिलने के चलते गौरव ने खुद ही कार को तलाश करने की ठान ली। गौरव द्वारा तीन दिन पहले कार को बरामद कराकर इसकी सूचना पुलिस को दी गई। गौरव का आरोप है कि चोरी के तुरंत बाद ही पुलिस ने कार और स्कूटी के साथ एक बदमाश को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बदमाश पर स्कूटी दिखाकर जेल भेज दिया। आरोप है कि एक सिपाही ने कार अपने पास रख ली। गौरव का आरोप है कि सिपाही ने कार का रंग बदलवा कर उसकी नंबर प्लेट तक बदल दी थी।
पीड़ित का आरोप है कि सिपाही के खिलाफ पुख्ता सबूत मोदीनगर पुलिस को दिए थे। इसके बाद मोदीनगर पुलिस ने कार को विजयनगर कॉलोनी से बरामद दिखाकर एक आरोपी संजय चौहान को गिरफ्तार कर चालान कर दिया। पीड़ित अब इसकी शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीजीपी से करने की बात कह रहा है। जब इस बारे में एसपी देहात से डॉ. ईरज राजा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आ गया है। इसकी गंभीरता से जांच की जा रही है। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई भी हो। देर रात एसएसपी कलानिधि नैथानी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए थाना सिहानी गेट पर तैनात मुख्य आरक्षी विपिन जावला को सस्पेंड कर दिया है।
सस्पेंड कर सीओ को सौंपी जांच
सिपाही को सस्पेंड कर मामले की जांच सीओ अभय को सौंप दी गई है। सिपाही की आपराधिक संलिप्तता की भी जांच विवेचना के क्रम में करने के आदेश दिए गए हैं। एसएसपी की इस कार्रवाई के बाद मोदीनगर पुलिस में हड़कंप मचा हुआ है।
पहले भी लग चुके हैं वर्दी पर दाग
मोदीनगर में वाहन चोरी के मामले में पुलिसकर्मी की संलिप्ततता का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई पुलिसकर्मी इस तरह के मामलों में शामिल पाए गए हैं। इन मामलों में उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी हुई है। अभी 6 महीने पहले ही कवि नगर कोतवाली पुलिस ने एक पुलिसकर्मी के जरिए संचालित गिरोह का खुलासा किया था, जिसमें लोगों को झांसा देकर गाड़ियां खरीदवाई जाती थीं और कैब में लगवाने के नाम पर हड़प ली जाती थी। इसी प्रकार कवि नगर पुलिस ने ही लालकुआं के पास से एक पुलिसकर्मी को नशीले पदार्थों की तस्करी कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
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