इंदौर। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के निर्देश पर शासन-प्रशासन नटवरलाल (instructions, but governance-administration Natwarlal) को मात देने वाले चिराग-चम्पू और धवन के जमीन घोटालों (land scams) की जांच-पड़ताल में जुटा है। अग्निबाण द्वारा एक और बड़ा खुलासा सेटेलाइट हिल्स (Satellite Hills) की जमीन के मामले में किया जा रहा है, जिसमें 67 हजार स्क्वेयर फीट नोटरी पर ली गई जमीन के बदले 1 लाख स्क्वेयर फीट से अधिक के भूखंड (Plot) अलग-अलग लोगों को बेच डाले। नगर तथा ग्राम निवेश से 3 लाख 74600 स्क्वेयर मीटर का जो नक्शा मंजूर करवाया उसमें खसरा नम्बर 215 के कई टुकड़े शामिल हैं, मगर चम्पू ने नोटरी पर इस खसरे में शामिल जमीन से अधिक सेटेलाइट इन्फा एंड रियल इस्टेट तर्फे अमित टोंग्या को बेच दी। 67 हजार 237 स्क्वेयर फीट की नोटरी एवलांच रियलिटी (Avalanche Reality) के माध्यम से चम्पू ने टोंग्या को करवाई।
इस नोटरी के एवज में रीतेश अजमेरा उर्फ चम्पू (Ritesh Ajmera alias Champu) ने 17 लाख 50 हजार और 10 लाख के दो चेक के अलावा 39 लाख 73, 700 रुपए की राशि कालोनी डवलपर और मटेरियल सप्लायर को अदा करने के एवज में टोंग्या को दी। इसमें से सिर्फ साढ़े 27 लाख के चेक ही चम्पू को मिले और बाकी की राशि नहीं दी, जिसके चलते बाद में चम्पू ने जाहिर सूचना के माध्यम से नोटरी पर बेची जमीन का विक्रय करने से इनकार भी किया, जिसका प्रतिवाद टोंग्या की ओर से भी प्रकाशित करवाया गया। इस 67 एकड़ जमीन पर बाद में टोंग्या ने हाथ से ही नक्शा तैयार किया और डॉ. सुरेश चोपड़ा को आम मुख्त्यार बनाकर भूखंड (plot) बेच डाले, जो कि एक लाख स्क्वेयर फीट से अधिक हैं। सूत्रों का कहना है कि लगभग 10 करोड़ रुपए की राशि इस तरह टोंग्या ने कमा ली और बाद में साढ़े 27 लाख के चेक ही चम्पू को मिले। सेटेलाइट हिल्स, नायता मूंडला (Satellite Hills, Nayta Mundla) की चल रही जांच में प्रशासन को अन्य रसूखदारों द्वारा करवाई गई रजिस्ट्रियों की जानकारी भी मिली है। अधिकांश रजिस्ट्रियां पंजीयन विभाग (Registration Department) ने प्रशासन को सौंप भी दी है। कलेक्टर मनीष सिंह ने जहां जेल जाकर चम्पू और हैप्पी धवन से सीधी पूछताछ की, वहीं उनके सहयोगी रहे कैलाश गर्ग, मोहन चुघ सहित अन्य का आमना सामना करवाया। वहीं अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर, एसडीएम अंशुल खरे, श्रीमती विशाखा देशमुख और पराग जैन भी इन घोटालों की पड़ताल कर रहे हैं।
पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम सभी को खरीद लिया चिराग, चम्पू, धवन बंधुओं से लेकर अन्य चर्चित भूमाफियाओं (land mafia) ने सालों से जो घोटाले (scams) किए उसमें सरकारी विभाग के अधिकारियों की भी पूरी सांठगांठ रही। सहकारिता विभाग से लेकर पुलिस, जिसमें कई थाने तो इन लोगों ने लगभग खरीद ही रखे थे और अभी भी फरारी के वक्त, चिराग, दीपक मद्दे व अन्य की मदद की जा रही है। इसी तरह पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम को भी चम्पू एंड कम्पनी ने खरीद रखा था, जिसके चलते इनकी जमीनों के नामांतरण, पंजीयन से लेकर अभिन्यास आसानी से मंजूर होते रहे। 22 एकड़ किसानों की जमीनें शामिल कर नक्शे पास करवा लिए, तो धरोहर के भूखंड छुड़वाकर बेच भी डाले।
डेढ़ लाख स्क्वेयर फीट की दूसरी नोटरी पर 88 लाख ड्यूटी बकाया
अमित टोंग्या को करवाई गई एक नोटरी पर बकाया स्टाम्प शुल्क तो वसूल लिया। वहीं एक अन्य नोटरी पर बिकी एक लाख 55600 स्क्वेयर फीट जमीन, जिसमें 42 भूखंड शामिल हैं, पर लगभग 88 लाख रुपए की स्टाम्प ड्यूटी बकाया, जिसके चलते कुछ समय पूर्व न्यायालय कलेक्टर ऑफ स्टाम्प्स एवं जिला पंजीयक इंदौर-2 द्वारा कुर्की की सूचना भी प्रकाशित करवाई गई। यह नोटरी भी सेटेलाइट इन्फ्रा तर्फे अमित टोंग्या के नाम से ही है।
भूखंड की बजाय खसरों की जमीनों की होती रही खरीद-फरोख्त जब नगर तथा ग्राम निवेश ने 3 लाख 74600 स्क्वेयर मीटर सेटेलाइट हिल्स की कुल जमीन पर आवासीय कम व्यवसायिक भूखंडों का नक्शा अभिन्यास मंजूर कर दिया, तो उसके बाद फिर भूखंडों की ही खरीद-फरोख्त होना चाहिए। मगर चम्पू एंड कम्पनी खसरे की जमीनें ही लगातार बेचती रही, जो कैलाश गर्ग की नारायण अम्बिका से लेकर अन्य रसूखदारों ने खरीद ली और इसके आधार पर अन्य रजिस्ट्रियां ये रसूखदार भी करवाते रहे।
जूनी इंदौर की बजाय विजय नगर में आ गया नायतामूंडला
नायतामूंडला के राजस्व प्रकरण (Revenue Case of Naytamundla) वैसे तो जूनी इंदौर तहसील में आते हैं, मगर चम्पू और अन्य जमीनी जादूगरों का असर यह हुआ कि कुछ मामले तहसील विजय नगर ने भी निपटा दिए। नोटरी पर जो 67 हजार 237 स्क्वेयर फीट जमीन अमित टोंग्या को मिली उसका नामांतरण तहसील विजय नगर द्वारा कर दिया गया, जबकि सेटेलाइट हिल्स (सेटेलाइट हिल्स) के ऐसे अन्य प्रकरणों का कामकाज जूनी इंदौर तहसील से ही होता रहा।
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