वॉशिंगटन। भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी निकेश अरोड़ा (Indian-American businessman Nikesh Arora) चर्चा में बने हैं. वजह है ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स (Bloomberg Billionaires Index) में उनका नाम शामिल होना. इतना ही नहीं, वो उन चुनिंदा अरबपतियों में से हैं, जो नॉन-फाउंडर हैं. यानी, अरोड़ा ने खुद कोई कंपनी शुरू नहीं की, बावजूद उसके वो अरबपति बन गए हैं.ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक, निकेश अरोड़ा की नेटवर्थ 1.5 अरब डॉलर से ज्यादा है. भारतीय करंसी के हिसाब से इसकी संपत्ति 12,495 करोड़ रुपये है. निकेश अरोड़ा इस समय टेक कंपनी पॉलो ऑल्टो नेटवर्क के सीईओ और चेयरमैन है. इस कंपनी की मार्केट कैप 91 अरब डॉलर से ज्यादा है.
निकेश अरोड़ा लंबे समय से अमेरिकी कंपनियों से जुड़े हुए हैं. उन्होंने गूगल में भी काम किया है. उनकी पहचान एक कारोबारी, इन्वेस्टर और एंटरप्रेन्योर के तौर पर है. उनका जन्म 9 फरवरी 1968 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुआ था. उन्होंने एयरफोर्स स्कूल से अपनी पढ़ाई की. इसके बाद आईआईटी बीएचयू से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की. आगे की पढ़ाई के लिए वो अमेरिका चले गए. वहां उन्होंने नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए और बोस्टन कॉलेज से फाइनेंस में एमएस की डिग्री हासिल की.
अरोड़ा ने 1992 में फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट से अपना करियर शुरू किया था. यहां वो टेक्ननोलॉजी मैनेजमेंट और फाइनेंस से जुड़े पद पर रहे हैं. साल 2000 में उन्हें फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट में वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो अमेरिका आए थे, तो उनके पिता ने उन्हें 75 हजार रुपये दिए थे. उन्होंने बताया था कि अपना खर्चा निकालने के लिए उन्होंने कई जगह काम किए. उन्होंने कभी बर्गर शॉप में सेल्समैन तो कभी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी भी की थी.
लेकिन ये अरोड़ा की मेहनत ही थी जो उन्हें इस मुकाम तक ले आई. अरोड़ा जब गूगल में थे तो वो वहां सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले इकलौते कर्मचारी थे. अरोड़ा साल 2004 में गूगल से जुड़े थे. और 2012 में उन्हें गूगल से सालाना 5.1 अरब डॉलर सैलरी मिलती थी. बताया जाता है कि जब अरोड़ा गूगल में थे, तो उन्होंने 2009 में नेटफ्लिक्स को खरीदने का सुझाव दिया था. उस समय नेटफ्लिक्स की मार्केट कैप 3 अरब डॉलर थी, जो आज 27 अरब डॉलर से ज्यादा हो गई है. हालांकि, गूगल ने अरोड़ा का सुझाव नहीं माना था.
गूगल को अलविदा कहने के बाद वो सॉफ्ट बैंक के प्रेसिडेंट बने. उनके प्रेसिडेंट रहते ही सॉफ्ट बैंक ने 25 करोड़ डॉलर की डील की थी. इतना ही नहीं स्नैपडील, ओला, ग्रोफर्स और हाउसिंग डॉट कॉम जैसे भारतीय स्टार्टअप में भी सॉफ्ट बैंक ने इन्वेस्ट किया था. जून 2018 में अरोड़ा पॉलो ऑल्टो नेटवर्क से जुड़े थे. वो तब से ही इसके सीईओ और चेयरमैन हैं. कंपनी से जुड़ने के बाद उन्हें 12.5 करोड़ डॉलर के शेयर दिए गए थे. पांच साल में कंपनी के शेयर कई गुना बढ़ गए, जिस कारण उनकी नेटवर्थ भी 1.5 अरब डॉलर को पार कर गई.
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