नई दिल्ली(New Delhi) । उत्तर भारत(North India) में जुलाई के महीने में भी गर्मी रिकॉर्ड(heat record) तोड़ रही है। उत्तर प्रदेश-बिहार(Uttar Pradesh Bihar) समेत कई राज्यों में लोग बारिश का इंतजार (waiting for the rain)कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि पहाड़ी इलाके भी इस बार हीटवेव से अछूते नहीं रहे। कश्मीर घाटी में गर्मी ने 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यही हाल लेह और लद्दाख का भी है। हालात ये हैं कि गर्मी की वजह से फ्लाइट कैंसल करनी पड़ रही है।
एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण के लिए काम करने वाले प्रोफेसर चेतन सोलंकी को गर्मी की वजह से असुविधा का सामना करना पड़ा। उनकी फ्लाइट को गर्मी की वजह से कैंसल कर दिया गया। उन्होंने कहा, यह कल्पना से परे है कि 11 हजार फीट की ऊंचाई पर जहां तापमान माइनस 20 डिग्री तक पहुंच जाता है, वहां गर्मी की वजह से फ्लाइट कैंसल की जा रही है।
उन्होंने बताया, आश्चर्य की बात यह नहीं थी कि फ्लाइट कैंसल हो गई। बल्कि हैरान करने वाली बात यह थी की इतने ऊंचे पहाड़ पर ज्यादा तापमान की वजह से फ्लाइट कैंसल करने पड़ी। यह जलवायु परिवर्तन का बड़ा संकेत है। आज हम इसके शिकार हो रहे हैं, कल हमारी अगली पीढ़ी को इसके बड़े दुष्प्रभाल झेलने पड़ेंगे। सबको इस बात को समझना चाहिए। बता दें कि चेतन सोलंकी आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर हैं और इस समय ‘एनर्जी स्वराज यात्रा’ के तहत जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता के लिए काम कर रहे हैं।
बीते सप्ताह वह सन ऐंड अर्थ फेस्टिवल में शामिल होने लद्दाख गए थे। दोपहर 1 बजे के आसपास इंडिगो ने फ्लाइट कैंसल कर दी। बताया गया कि ज्यादा तापमान की वजह से फ्लाइट कैंसल की गई है। इंडिगो ने कहा, बाहर की हवा का तापमान ज्यादा होने की वजह से लेह में फ्लाइट ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है। एयरलाइन भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकती।
क्यों विमानों के संचालन में बाधा पैदा करता है तापमान
दरअसल ऊंचाई बढ़ने के साथ ही वायु का घनत्व घट जाता है। इसीलिए ऊंचाई पर जाने वाले पर्वतारोहियों को ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है। लेह एयरपोर्ट समुद्र तल से लगभग 10 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर है। यहां हवा का घनत्व दिल्ली एयरपोर्ट के मुकाबले पहले से ही कम है। वहीं जब तापमान बढ़ जाता है तो घनत्व और कम हो जाता है। ऐसे में एयरक्राफ्ट को दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
हवा का घनत्व कम होने से इंजन ठीक से काम नहीं करता है। वायु का घनत्व कम होने से फ्लाइट को टेक ऑफ करने और फिर हवा में रोकने में परेशानी होती है। एक पायलट ने बताया कि जब ज्यादा तापमान होता है तो इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि विमान में ज्यादा वजन ना हो। बीते सप्ताह एयर ट्रैफिक कंट्रोल की तरफ से लेह का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस बताया गया था जो कि काफी ज्यादा है।
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