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    ऑटोमैटिक प्रक्रिया से होगी चंद्रयान-3 की सॉफ्ट-लैंडिंग, जानिए लैंडर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात

  • August 23, 2023

    बेंगलुरु (Bangalore) । चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) बुधवार शाम को सॉफ्ट-लैंडिंग (soft-landing) करेगा। इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को इसरो (ISRO) अधिकारियों सहित कई लोगों ने ‘17 मिनट का खौफ’ करार दिया है। लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक होगी। इसके तहत लैंडर (lander) को अपने इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चालू करना होगा। उसे सही मात्रा में ईंधन का उपयोग करना होगा और अंततः नीचे उतरने से पहले यह पता लगाना होगा कि किसी प्रकार की बाधा या पहाड़ी क्षेत्र या गड्ढा नहीं हो। सभी मापदंडों की जांच करने और लैंडिंग का निर्णय लेने के बाद इसरो बेंगलुरु के निकट बयालालू में अपने भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क (आईडीएसएन) से निर्धारित समय पर लैंडिंग से कुछ घंटे पहले सभी आवश्यक कमांड एलएम पर अपलोड करेगा।


    स्पीड पर लगेगी लगाम
    इसरो के अधिकारियों के अनुसार, लैंडिंग के लिए, लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर पावर ब्रेकिंग चरण में प्रवेश करता है। गति को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन को ‘रेट्रो फायर’ करके उपयोग करना शुरू करता है। अधिकरियों के अनुसार इससे यह सुनिश्चित होता है कि लैंडर दुर्घटनाग्रस्त न हो, क्योंकि इसमें चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी काम करता है।

    सतह को करेगा स्कैन
    इसको देखते हुए 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर, केवल दो इंजन का उपयोग किया जाएगा, अन्य दो को बंद कर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य लैंडर को ‘रिवर्स थ्रस्ट’ देना होता है, लगभग 150-100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का उपयोग करके सतह को स्कैन करेगा ताकि यह जांचा जा सके कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर वह सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू करेगा।

    इतना होगा जीवन
    सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद, रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके, लैंडर से बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर का मिशन जीवन एक चंद्र दिवस (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) का होगा।

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