डेस्क: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने पारंपरिक मीडिया संस्थानों (Media Institutions) को हो रहे नुकसान की बात उठाई है, जो ओरिजनल कंटेंट क्रिएट (Create Original Content) करते हैं. उन्होंने कहा कि बिग टेक कंपनियां (Tech Companies) कंटेंट यूज करने के बदले मूल पब्लिशर्स (Original Publishers) को मुआवजा दें. बिग टेक कंपनियों से मतलब गूगल, फेसबुक और एक्स जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से हैं, जहां से बड़ी संख्या में यूजर्स कंटेंट कंज्यूम करते हैं.
अश्विनी वैष्णव राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने मीडिया के सामने चार चुनौतियों का खास तौर पर जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की वजह से पारंपरिक मीडिया संस्थानों को भारी नुकसान हो रहा है. ये पारंपरिक मीडिया संस्थान कंटेंट बनाने में मैन पावर और टेक्नलॉजी में बड़ा निवेश करते हैं, लेकिन फेसबुक-एक्स जैसे संस्थान इनके ही कंटेंट से कमाई करते हैं.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हम लोकतंत्र की जननी हैं. हमारे पास 35,000 पंजीकृत दैनिक समाचार पत्र हैं. सैकड़ों समाचार चैनल हैं. तेजी से बढ़ता डिजिटल इकोसिस्टम है जो मोबाइल और इंटरनेट के जरिए करोड़ों लोगों तक पहुंचता है. भारत डिजिटल कनेक्टिविटी में सबसे आगे है. हमारे यहां इंटरनेट डाटा की कीमत सबसे कम है.
सूचना-प्रसारण मंत्री ने कहा कि फेक न्यूज का प्रसार मीडिया में विश्वास को कमजोर करता है. यह लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करता है. इस दौरान वैष्णव ने डिजिटल मीडिया के तेज विकास और इन प्लेटफार्म पर पब्लिश कंटेंट की जवाबदेही का अहम सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि सेफ हार्बर का यह कंसेप्ट 1990 के दशक में विकसित हुआ था. लेकिन, क्या यह आज भी रिलेवेंट है. इस मुद्दे पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है. इस कारण कई समस्याएं पैदा हुई हैं. गलत जानकारी की वजह से दंगे और यहां तक कि आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिला है. ऐसे में सवाल है कि क्या भारत जैसे देश में इन प्लेटफॉर्मों की जिम्मेदारियां तय नहीं होनी चाहिए?
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दूसरा सबसे अहम सवाल कंवेंशनल कंटेट पब्लिशर के लिए उचित मुआवजे की जरूरत का है. उन्होंने कहा कि आज कंटेंट और न्यूज का कंजंप्शन तेजी से कंवेंशनल मीडिया से डिजिटल मीडिया यानी फेसबुक-एक्स जैसे सोशल मीडिया पर शिफ्ट हो गया है. इस बदलाव की वजह से ट्रेडिशनल मीडिया को वित्तीय नुकसान हो रहा है. इनको कंटेंट प्रोड्यूश करने में बड़े पैमाने पर समय और पैसे दोनों खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन, बार्गेनिंग पावर के मामले में डिजिटल मीडिया के पास कंवेंशनल की तुलना बड़ी बढ़त हासिल है. ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों ने कानून बनाकर फेसबुक को मुआवजा देने पर विवश किया है.
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