नई दिल्ली (New dehli) । सोशल मीडिया (social media) कई मायनों में एक ओर जहां ताकत (Strength) बन कर उभर रही है, वहीं दूसरी तरफ इसके दुरुपयोग (abuse) को लेकर भी बड़ी चिंता है। स्कूल (School) से बच्चों के घर आने के बाद पैरेंट्स (parents) को दो बातों को लेकर सबसे ज्यादा चिंता (Worry) रह रही है। पहला बच्चों पर सोशल मीडिया का प्रभाव और दूसरा बच्चों (children) की जिंदगी पर इंटरनेट का प्रभाव।
बच्चों के स्वास्थ्य पर मिशिगन यूनिवर्सिटी के सीएस मॉट चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल नेशनल पोल के अनुसार आधे से अधिक माता-पिता मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को अपने बच्चों और किशोरों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय मानते हैं।
अमेरिका में इस साल बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में माता-पिता की चिंताओं की लिस्ट में सबसे ऊपर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल है जो कि बचपन के मोटापे से भी अधिक है। एक दशक पहले तक बचपन का मोटोपा पैरेंट्स के लिए बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सबसे बड़ा मुद्दा था।
ऐसा नहीं है कि अब अनहेल्दी खाने और मोटापे को लेकर पैरेंट्स को चिंता नहीं है लेकिन सोशल मीडिया और इंटरनेट के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और स्क्रीन टाइम ने सभी चिंताओं को पीछे छोड़ दिया है। एक सर्वे के मुताबिक दो-तिहाई माता-पिता बच्चों के गैजेट के इस्तेमाल और उस पर बिताए गए समय में वृद्धि को लेकर चिंतित हैं। इसमें ओवरऑल स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया का इस्तेमाल शामिल है।
सर्वे में कहा गया है कि कम उम्र के बच्चों द्वारा डिजिटल गैजेट का इस्तेमाल बहुत ही खतरनाक है। यह उनके विकास में बाधा बन सकती है और उनकी आदतों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसे रोकने के लिए जल्द ही उचित कदम उठाने होंगे।
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