इंदौर। सिंडिकेट (Syndicate)लगने के बाद इंदौर (Indore) में सक्रिय हुए अवैध शराब (Illegal Liquor)बेचने वालों की धरपकड़ के दौरान जिम्मी असरानी निवासी जयरामपुर कॉलोनी अपने भाई के साथ गिरफ्त (Arrested)में आया है। जिम्मी की लिंक पहले पकड़ाए बंटी सुंघवानी से मिली थी। जिम्मी पहले कपड़ा व्यापारी था, माणिकबाग में दुकान चलाता था, लेकिन शराब में मोटी कमाई के चलते उसने दुकान बंद कर दी।
जिम्मी और बंटी मिलकर शराब कारोबार करते थे। दोनों बुरहानपुर से जहरीली शराब लाते और अपने कथित सेल्समैन के माध्यम से इंदौर में होम डिलीवरी करवाते थे। एक सेल्समैन का नाम दीवान चावला बताया जा रहा है। इन्हें बुरहानपुर से आरएस ब्रांड की शराब 5600 रुपए में मिल जाती थी। यहां 9600 में बिकती थी। दिन में कई पेटियां खपा देते थे। यह रुपए कमाने का यह शार्टकट रास्ता था, इसलिए जिम्मी ने कपड़ा दुकान भी बंद कर दी और पूरी तरह इस काम में लिप्त हो गया। प्रतिदिन इनके बिजनेस का आंकड़ा लाखों में पहुंच जाता था।
कालका प्रसाद को माफियाओं के सामने बैठाकर होगी पूछताछ
खरगोन एसपी शैलेंद्रसिंह का कहना है कि कालका प्रसाद निवासी मोरगढ़ी (खंडवा) भी गिरफ्त में है। कालका बुरहानपुर और खंडवा की तरफ से शराब तस्करी करता है। एरोड्रम स्थित पैराडाइज बार और सपना बार में शराब पीने के बाद लोगों की हालत खराब होने के मामले में कालका प्रसाद द्वारा शराब सप्लाई करने की बात सामने आ रही है। कालका प्रसाद खरगोन पुलिस को अलग कहानी बता रहा है, जिसकी तफ्तीश के लिए इंदौर में जितने भी शराब माफिया पकड़ाए हैं, उन्हें कालका के सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी।
शराब तस्करी करने वाले ट्रांसपोर्टर पर लगाई मामूली धारा
क्राइम ब्रांच ने दो दिन पूर्व स्टेशनरी की आड़ में पार्सलों से दिल्ली से अंग्रेजी शराब बुलाकर यहां सप्लाय करने के मामले में पकड़ाए एक ट्रांसपोर्टर को मामूली धारा लगाकर छोड़ दिया, जबकि उसके यहां काम करने वाले तीन कर्मचारी अभी भी गिरफ्त में हैं। मूसाखेड़ी के कैपिटल इंडिया लॉजिस्टिक कंपनी के संचालक जितेंद्र भोज को पकड़ा था। उसके साथ मूसाखेड़ी के ही चंदन कौशल, भावना नगर खंडवा रोड के गोविंद गुर्जर, लालबहादुर व एक अन्य को गिरफ्तार किया था और जितेंद्र के सांवेर रोड स्थित ट्रांसपोर्ट पर कार्रवाई कर वहां से दिल्ली से आई पांच पेटी शराब जब्त की थी। जब पुलिस ने स्टेशनरी खोली तो उसमें से शराब की बोतलें मिली थीं। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में ट्रांसपोर्ट संचालक को मात्र धारा 34 लगाकर छोड़ दिया।
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