उज्जैन। जिले में पिछले 6 महीने में डेंगू के 5 मरीज मिल चुके हैं। राहत की बात यह है कि इस बार मलेरिया के मरीजों की संख्या शून्य हैं। इसमें सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों का आंकड़े शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में एक जनवरी 2024 से लेकर 4 जुलाई 2024 तक कुल डेंगू के 5 मरीज मिल चुके हैं। जून माह में शहर की वेदनगर कॉलोनी में एक साथ डेंगू के दो मरीज मिले थे। इसके अलावा एक आगर रोड पर मिला था, वहीं जून में एक बडऩगर क्षेत्र और एक घटिया ब्लॉक में मिला था। डेंगू के मरीज मिलने का प्रमुख कारण लोगों के घरों में जमा बारिश का पानी है। खास बात यह है कि विभाग मरीज मिलने के बाद संबंधित क्षेत्र में दवा का छिड़काव व लार्वा की जाँच के लिए पहुँच रहा है। मामले में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. आरएस जाटव ने बताया कि एक जुलाई से जिले में डेंगू बचाव अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान लगातार लोगों में जागरूकता फैलाने के साथ जलभराव वाले क्षेत्रों में दवा का छिड़काव किया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में पूर्व में मरीज मिले हैं, वहाँ प्राथमिकता के साथ दवा का छिड़काव किया जाता है। विभाग के दल लोगों के घरों में जाकर लार्वा की जाँच कर रहे हैं। लार्वा मिलने पर उसे तत्काल नष्ट किया जा रहा है। इधर मलेरिया को लेकर विभाग सक्रिय हैं। फिलहाल इस साल जिले में मलेरिया के मरीजों की स्थिति शून्य हैं। इसमें निजी (रजिस्टर्ड) और सरकारी दोनों अस्पतालों के आंकड़े शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू एडीज है, घरेलू मच्छर के संबंध में जनजागरूकता के लिए एडवायजरी जारी की गई है। एडवायजरी में कहा गया है कि तेज गर्मी के बाद होने वाली वर्षा से लार्वा पनपने के लिए अनुकूल स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। वर्षा के बाद जल जमाव की स्थितियाँ होती हैं, ऐसी स्थिति में मलेरिया, डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है। डेंगू बीमारी एडीज नामक मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर साफ पानी से भरे टैंक, टायर, सीमेन्ट की टंकियों, मटके, बाल्टियों, कूलर, छत पर रखे अनुपयोगी सामान, टूटे-फूटे बर्तन, पानी से भरे पॉलीथिन में अपने अंडे देता है। साथ ही साथ सीधे रखे खाली गमले, मटके एवं अन्य पानी से भरे बर्तन व सामान, कबाडिय़ों द्वारा खुले में रखे गए सामान, पशुओं को पानी पिलाने के लिए रख गए हौज में भी एडीज के लार्वा पाए जाते हैं, जिसे आम जनता इसे पानी के कीड़े समझती है। इन्हें तुरंत नष्ट करें, पानी को जमा न होने दें, उपयोग करने के पानी को अच्छी तरह से ढँक कर रखें तथा उनमें एक छोटी चम्मच मीठा तेल डाले। बाहर गड्ढों तथा नालियों में जला हुआ तेल डाले।
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