वाशिंगटन। दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी से अबतक 40 लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। पहली लहर के दौरान भी लाखों लोगों की जान गई थी। हालांकि कई देश अपने लोगों को वैक्सीन लगाने पर ज्यादा से ज्यादा जोर दे रहे हैं। पहली और दूसरी लहर के दौरान कोरोना कोरोना की चपेट में आने के बाद लगभग 40 लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी है।
हालांकि कई देश अपने नागरिकों को बचाने के लिए वैक्सीन लगा रहे हैं लेकिन तेजी से स्वरूप बदल रहा कोरोना वायरस चिंता का सबब बना हुआ है। एल्फा से लेकर सबसे खतरनाक कोरोना वैरियंट डेल्टा अभी भी लोगों को अपना शिकार बना रहा है। खबरों के मुताबिक, कोरोना वायरस से मौतों को 20 लाख तक पहुंचने में एक साल का समय लगा, जबकि अगले 20 लाख तक पहुंचने में केवल 166 दिनों का समय दर्ज किया गया।
दुनिया में अगर कुल मौतों की बात की जाए तो शीर्ष पांच देश संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, भारत, रूस और मैक्सिको में दुनिया की 50 फीसदी मौतें हुईं। जबकि पेरू, हंगरी, बोस्निया, चेक गणराज्य और जिब्राल्टर में मृत्यु दर सबसे अधिक है।
बोलिविया, चिली और उरुग्वे के अस्पतालों में बड़े पैमाने पर 25 से 40 वर्ष के बीच के कोरोना रोगियों को देखा जा रहा है। क्योंकि पहली लहर के बाद दूसरी लहरों में युवा काफी संक्रमित पाए गए। वहीं ब्राजील के साओ पाउलो में आईसीयू में रहने वालों में से 80 फीसदी कोरोना मरीज हैं।
बढ़ती मौतों से विकासशील देशों में श्मशान में लाशों दफनाने के लिए कब्रों की कमी देखी गई। भारत और ब्राजील ऐसे देश हैं जो सात दिनों के औसत पर हर दिन सबसे अधिक मौतों की रिपोर्ट कर रहे हैं और अभी भी दाह संस्कार और दफन स्थान की कमी से परेशान हैं। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले महीने आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या को विश्व स्तर पर कम करके आंका है।
गरीब देशों में जनसंख्या ज्यादा होने की वजह से वैक्सीन की कमी देखने को मिल रही है। हालांकि अमीर देशों से महामारी को खत्म करने के लिए ज्यादा से ज्यादा दान का आग्रह किया जा रहा है। बता दें कि जी-7 ग्रुप के सदस्यों ने शपथ ली है कि गरीब देशों को एक अरब कोरोना वैक्सीन की खुराकें दी जाएंगी, ताकि वो अपने नागरिकों को टीका लगा सकें।
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