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    धुएं और धूल ने फिर बढ़ा दिया वायु प्रदूषण

  • May 27, 2022

    • स्तर 300 के करीब पहुँचा-खुदी हुई सड़कें और वाहनों का धुआँ जिम्मेदार

    उज्जैन। पिछले एक हफ्ते से धूल भरी तेज हवाएँ चल रही है। इसके कारण शहर का वायू प्रदूषण और बढ़ गया है। खुदी हुई सड़कों से उड़ रही धूल और वाहनों से निकल रहा धुआँ शहर की आबोहवा में प्रदूषण का स्तर 300 के करीब ले आया है। शहर में वायु प्रदूषण को देखते हुए नगर निगम और प्रशासन ने नई योजना पर विचार किया था। हालांकि अभी तक हवा में घुल रहे वायु प्रदूषण के जहर को कंट्रोल करने के लिए कोई कारगर योजना धरातल पर नहीं उतरी है। यही कारण है कि पिछले दिनों में दर्ज प्रदूषण के आंकड़े बताते हैं कि शहर की शुद्ध हवा लगातार खराब होती जा रही है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर में हर पल वायु प्रदूषण की गणना की जाती है। इसके आधार पर रोज का औसत प्रदूषण स्तर एयर क्वालिटी इंडेक्स के रूप में निकाला जाता है।



    प्रदूषण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल दीपावली के दौरान शहर में प्रदूषण का स्तर 237 तक चला गया था लेकिन उसके बाद यह नियंत्रण में आ गया था और 150 के करीब पहुँच गया था। परंतु पिछले एक पखवाड़े में धूल भरी हवाओं और वाहनों से निकल रहे जहरीले धुएँ के कारण यह स्तर बढ़कर 260 से 295 तक पहुँच गया है। शहर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए जिला प्रशासन नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, परिवहन विभाग के प्रयास हैं कि जैसे भी हो सके प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके। इसके तहत पिछले दिनों बड़े उद्योगों में लकड़ी और कोयले के बजाय गैस आधारित बायलर चलाने के आदेश दिए गए थे। वहीं होटलों में भी लकड़ी या कोयले की भ_ी के बजाय गैस की भट्टी के उपयोग के आदेश दिए हैं। दूसरी ओर शहर में चलने वाली बसों को भी सीएनजी बसों के साथ बदलने की तैयारी की जा रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

    प्रदूषण बढऩे के ये प्रमुख कारण
    प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक ए.डी. संत ने बताया कि शहर में प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ दिनों से बढ़ा है। प्रदूषण का स्तर बढऩे के अभी प्रमुख तीन कारण हैं। पहला हवा की गति, दूसरा शहर में पिछले दो साल से सीवरेज की खुदाई और तोडफ़ोड़ का काम होना है। तीसरा कारण अभी भी कई वाहन जहरीला धुआँ छोड़ रहे हैं। इधर आरएमओ डॉ. जितेन्द्र शर्मा के मुताबिक शहर में पिछले कुछ समय से लगातार प्रदूषण बढऩे के कारण सांस के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। जिन लोगों को पहले से अस्थमा जैसी बीमारियां हैं उनकी स्थिति ज्यादा खराब है। सामान्य सर्दी-खांसी से लेकर लोग निमोनिया की स्थिति तक पहुंच रहे हैं। यह काफी चिंताजनक है।

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