नई दिल्ली। देश में स्मार्टफोन की कीमतें अक्तूबर-दिसंबर तक 5-7 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। डॉलर की तुलना में रुपये में लगातार गिरावट से मांग पर असर हो रहा है। इस वजह से इस साल स्मार्टफोन का शिपमेंट भी कम हो सकता है।
उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक, त्योहारी सीजन में मांग बढ़ाने के लिए स्मार्टफोन ब्रांड बड़े पैमाने पर आयातित कलपुर्जों की बढ़ी हुई लागत खुद वहन कर रहे हैं। अब वे इस लागत का भार ग्राहकों पर डालना चाहते हैं। इससे स्मार्टफोन की औसत कीमत चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 20,000 रुपये तक जा सकती है, जो अप्रैल-जून में 17,000 रुपये थी। मोबाइल फोन कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि रुपये में आई गिरावट का निश्चित तौर पर लागत पर असर होगा।
बजट स्मार्टफोन पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
एक अधिकारी ने कहा कि रुपये में उतार-चढ़ाव का बड़ा असर सामग्री के बिल पर पड़ता है। देश में बनने वाले स्मार्टफोन अब भी विदेश से आने वाले कलपुर्जों पर ही निर्भर हैं। यह ज्यादातर बजट स्मार्टफोन पर असर डालेगा। त्योहारी मौसम के बाद इसका असर सीधे ग्राहकों पर पड़ेगा। कीमतें बढ़ने से सालाना आधार पर बिक्री भी प्रभावित हो सकती है। डॉलर की तुलना में 9 अक्तूबर को रुपया कमजोर होकर 82.86 तक पहुंच चुका था।
पाम तेल : आयात शुल्क बढ़ा सकती है सरकार
केंद्र सरकार पाम तेल के आयात पर शुल्क बढ़ा सकती है। सरकारी सूत्रों व कारोबारियों से मिली जानकारी के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक भारत तिलहन की कम कीमतों से जूझ रहे किसानों की मदद करने के प्रयासों के तहत यह कदम उठा सकता है।
एक सरकारी सूत्र ने बताया, हम कच्चे पाम तेल पर शुल्क वापस लाने और आरबीडी पर शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। इस साल की शुरुआत में भारत ने कीमतों पर काबू पाने को कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर मूल आयात शुल्क खत्म किया था। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा, सीपीओ व आरबीडी के आयात पर शुल्क में कम-से-कम 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जानी चाहिए। आरबीडी और सीपीओ के बीच में शुल्क का अंतर 12-13 फीसदी होना चाहिए।
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