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    स्मार्ट एलइडी की गुणवत्ता घेरे में

  • July 30, 2022

    • प्रदेश के कई जिलों से पहुंची शिकायतें
    • एलइडी लगने के बाद एक सप्ताह से लेकर 10 दिन के अंदर ही खराब हो रही

    भोपाल। प्रदेश के कई जिलों में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के माध्यम से लगाई गईं स्मार्ट एलइडी की गुणवत्ता का मुद्दा दिल्ली तक पहुंचा है। ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, सतना सहित अन्य जिलों में एलइडी लगने के बाद एक सप्ताह से लेकर 10 दिन के अंदर ही खराब हो रही हैं। इन्हें सुधारने के लिए इइएसएल के पास पर्याप्त कर्मचारी भी मौजूद नहीं हैं। नेशनल एलइडी मिशन की रिव्यू बैठक में मध्यप्रदेश की ओर से यह मुद्दा उठाया गया है कि इन लाइटों की गुणवत्ता ठीक नहीं है। इसमें नगरीय विकास आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव ने एलइडी मिशन के अफसरों को अवगत कराया है, जिसके बाद इइएसएल के अफसरों ने गुणवत्ता में सुधार का आश्वासन दिया है।

    ग्वालियर की बात करें, तो 27 जुलाई तक शहर 3695 एलइडी लाइटें खराब होने की शिकायतें दर्ज हुई हैं। इसमें स्मार्ट सिटी के हेल्पलाइन नंबरों पर 2895 शिकायतें दर्ज हुई हैं, जबकि लगभग 800 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में पहुंची हैं। अफसरों का अनुमान है कि इससे लगभग पांच गुना लाइटें शहर में खराब पड़ी हैं। ग्वालियर में ईईएसएल के माध्यम से 26 करोड़ रुपए की लागत से 62 हजार एलइडी लाइटें लगवाई गई हैं। जिन स्थानों पर लाइटें लगवाई गई हैं, वे अधिकतर इलाके अंधेरे में डूबे रहते हैं। कमोबेश यही स्थिति जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, सतना जिलों में भी है। इसको लेकर जिलों से रिपोर्ट नगरीय विकास विभाग को भेजी गई है। विभाग द्वारा केंद्रीय ऊर्जा विभाग के अफसरों को भी इस मामले में अवगत कराया गया है। इसका कारण यह है कि लाइटें लगने के कुछ ही दिन में खराब हो जाती हैं और लोग इन्हें बदलवाने के लिए शिकायतें दर्ज कराते हैं। खुद इइएसएल के अफसरों ने इन लाइटों को सुधरवाने के लिए विशेष टीमें लगाई हैं।
    अफसरों का दावा है कि लाइटों की गुणवत्ता तो ठीक है, लेकिन कई जगहों पर बिजली की अधोसंरचना ठीक नहीं होने के कारण लाइटें खराब हो जाती हैं।


    वारंटी पीरियड के भरोसे स्मार्ट शहर
    ये लाइटें खराब होने का सिलसिला थम नहीं रहा है, लेकिन स्मार्ट शहरों के लिए यह तसल्ली की बात है कि इन लाइटों का सात साल का वारंटी पीरियड है। इसमें भी इइएसएल की ओर से लाइटों के खराब हुए पुर्जे सप्लाई किए जाएंगे। इन पुर्जों को बदलवाने की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी या फिर लाइटें हैंडओवर लेने वाली एजेंसी की होगी। ऐसे में अफसर इस बात की तसल्ली किए बैठे हैं कि उन्हें लाइटों के लिए कोई अतिरिक्त पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। इसी वजह से अफसर शांत होकर बैठ जाते हैं और लाइटें खराब होने का सिलसिला जारी रहता है।

    ईईएसएल कर रही भुगतान की मांग
    नेशनल एलइडी मिशन की बैठक में यह मुद्दा सामने आया कि देशभर में ईईएसएल का 1400 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है। इसमें ग्वालियर में ही लगभग 14 करोड़ रुपए के भुगतान की राशि शेष है। इइएसएल का कहना है कि भुगतान न होने पर किस तरह से लाइटों को ठीक कराया जाएगा, जबकि अधिकतर जिलों में यह मुद्दा उठाया जा रहा है कि लाइटें ठीक होने की स्थिति में ही भुगतान किया जा सकता है। ग्वालियर में तो इइएसएल पर 99 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा चुका है।

    इनका कहना है
    नेशनल एलइडी मिशन की बैठक में हमने लाइटों का मुद्दा उठाया है। ये लाइटें वारंटी पीरियड में होने के कारण खराब होने पर इइएसएल की इन्हें बदलेगी। हमने लाइटों को ठीक कराने की व्यवस्था में सुधार करने की भी मांग की है।
    निकुंज श्रीवास्तव, आयुक्त नगरीय विकास विभाग

    हमने पहले भी बताया है कि लाइटों की गुणवत्ता खराब नहीं है, बल्कि बिजली की पर्याप्त अधोसंरचना न मिलने के कारण ये लाइटें खराब हो रही हैं। इसके अलावा हमें भुगतान भी नहीं हो रहा है। फिर भी हमने लाइटों को सुधारने के लिए विशेष टीमें तैनात की हैं जो सुधार कर रही हैं।
    वेदप्रकाश डिंडोरे, राज्य प्रमुख ईईएसएल

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