उज्जैन। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सबसे पहले वसूली अभियान शुरू किया गया और इसके लिए ई चालान कैमरे के माध्यम से बनाए गए। न तो इसकी वसूली हो पाई और न लोगों ने गंभीरता से लिया। स्मार्ट सिटी के ई चालानों की 10 करोड़ से अधिक की राशि अभी लेना है और यह वसूली एक तरह से अब नहीं हो पाएगी। इस तरह पूरे ई चालान अभियान को पलीता लग गया।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सात शहरों में लगे इंटेलीजेंट मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) से ट्रैफिक नियम तोडऩे वालों पर कसावट का सिलसिला चल रहा है। अभी तक सबसे ज्यादा चालान काटने में उज्जैन का दूसरा स्थान रहा हैं। उज्जैन शहर में आईटीएमएस के माध्यम से काटे गए हैं। इनकी संख्या 2 लाख 40 हजार है। जबकि रिकवरी के मामले में उज्जैन स्मार्ट सिटी सबसे पीछे चल रही है। दरअसल शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए हाईटेक आइटीएमएस सिग्नल इंस्टाल किए गये थे। दावा था कि पूरे शहर में इन हाईटेक सिस्टम से ही ट्रैफिक कंट्रोल होगा। नियमों का उल्लंघन करने वालो के ई-चालान बनेगा और ऑटो मोड पर सिस्टम काम करेगा। जहाँ अधिक भीड़ है, वाहनों का अधिक दबाब है वहाँ सिग्नल खुद ग्रीन होगा ताकि यातायात आसानी से चलता रहे और शहर में सड़कों पर जाम न हो, लेकिन इस सिस्टम से न तो जाम से निजात मिला और न ही शहरवासियों ने ट्रैफिक नियमों का पालन किया। 4 साल में 2 लाख से अधिक लोगों ने यातायात नियमों का उल्लंघन किया और सिर्फ 63 हजार लोगों ने जुर्माना की राशि जमा की हैं। ई चालान के तहत अब तक 13.60 करोड़ के ई चालान बने हैं लेकिन वसूली सिर्फ 3.8 करोड़ रु की हो पाई हैं। ऐसे में वसूली का आंकड़ा 10 करोड़ 50 लाख पार कर चुका हैं।
किस शहर ने कितना राजस्व वसूला
शहर रेवेन्यू वसूली राशि (करोड़ में)
ग्वालियर 6.41
भोपाल 5.75
जबलपुर 5.56
उज्जैन 3.8
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