नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने रेलवे किनारे बसे झुग्गी वासियों के लिए वैकल्पिक आवास की व्यवस्था नहीं करने को लेकर दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो स्वयं दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जिनकी यह जिम्मेदारी है कि समय रहते रेलवे के किनारे रहने वाले झुग्गी वासियों के आवास की व्यवस्था करें, लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार की ओर से उन झुग्गी वासियों के वैकल्पिक आवास की व्यवस्था के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि वास्तव में दिल्ली सरकार समाधान नहीं व्यवधान उत्पन्न करना चाहती है। गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी आम आदमी पार्टी सरकार ने नकारात्मक प्रतिक्रिया देकर एक बार फिर से यह साबित किया है कि झुग्गी वासियों की परेशानियों से दिल्ली सरकार का कोई वास्ता नहीं है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली भाजपा कई दिनों से लगातार दिल्ली सरकार से अपील कर रही है कि खाली पड़े मकानों में रेलवे के किनारे रहने वाले झुग्गी वासियों के रहने की व्यवस्था की जाए लेकिन दिल्ली सरकार की ओर से कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं आया है। इसके विपरीत उन्होंने इस पर राजनीति शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को हम चुनौती देते हैं कि अगर उन्होंने अगले 90 दिनों के अंदर राजीव रत्न आवास योजना के तहत खाली पड़े 52,000 मकानों में झुग्गी वासियों के रहने की व्यवस्था नहीं की तो हम स्वयं ही झुग्गी वासियों को उन खाली पड़े मकानों में रहने का प्रबंध करेंगे।
उन्होंने कहा दिल्ली के मुख्यमंत्री वास्तव में झुग्गी वासियों के हितैषी बनने का सिर्फ दिखावा करते हैं क्योंकि उनके हितों से दिल्ली सरकार का कोई संबंध नहीं है. यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने पहले प्रधानमंत्री आवास योजना को रोकने का काम किया। फिर जब डीडीए ने ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ के तहत सर्वे कराने के लिए पैसे दिए तो दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड ने 2 साल तक योजना को लटकाए रखा। उन्होंने कहा कि रेलवे ने भी झुग्गियों के पुनर्वास के लिये 11.25 करोड़ दिए थे लेकिन इस ओर कोई काम नहीं किया गया। इतना ही नहीं दिल्ली में झुग्गी-बस्ती में रहने वाले लोगों को धोखा देने के लिए दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री आवास योजना की घोषणा की जो सिर्फ कागजों तक सीमित रही। यह बहुत ही खेद का विषय है कि दिल्ली सरकार राजनीतिक स्वार्थ के लिए झुग्गी वासियों को मकान देने के नाम पर उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती आई है। (एजेंसी, हि.स.)
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