नई दिल्ली। भले ही आप किसी भी तरह सोते हों, आपके सोने की पोजीशन (sleeping position) डाइजेस्टिव हेल्थ (digestive health) को प्रभावित करती है. जब आप सो रहे होते हैं, तो आपका दिमाग और शरीर दिन भर आपकी ओर से खाए गए खाने और ड्रिंक्स को पचाने का काम करता है। आपकी ओर से खाई जाने वाली चीजें और आपकी सोने की पोजीशन दोनों ही आपकी स्लीप क्वॉलिटी (Sleep quality) और खाना डाइजेस्ट करने की स्पीड ( speed of digesting food) को प्रभावित करती हैं. ऐसे में आज हम आपको सोने की सही पोजीशन के बारे में बताने जा रहे जिससे आपका डाइजेशन इंप्रूव हो सकता है।
नींद डाइजेशन को कैसे प्रभावित करती है
खाना खाने के बाद जब आप सोते हैं तो आपका डाइजेशन प्रोसेस काफी स्लो हो जाता है. सोने के बाद हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम खाना पचाने के लिए 30 से 72 घंटे का समय लेता है. डाइडेशन का टाइम इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप क्या खा रहे हैं, पी रहे हैं और आपका मेटाबॉलिज्म कैसा है. डाइजेशन जब सही तरीके से होता है तो आपको कुछ पता नहीं चलता लेकिन जब यह सही से काम नहीं कर पाता को आपको हार्टबर्न, एसिडिटी और कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
ये चीजें भी आपकी नींद में खलल डाल सकती हैं जैसे-
– सोने से कुछ देर पहले ही खाना
– ओवरईटिंग
– मसालेदार भोजन करना
– शराब और कैफीन का सेवन
– हाई- कार्ब्स मील्स
जब आप कम नींद लेते हैं तो उससे आपके पेट पर बुरा असर पड़ता है. इससे ब्लड लेवल में कोर्टिसोल 40 फीसदी तक बढ़ जाता है, यह एक स्ट्रेस हार्मोन होता है जो आपके मेटाबॉलिज्म को स्लो कर देता है. साथ ही इससे आपकी भूख और फूड क्रेविंग 33 फीसदी तक बढ़ सकती है.
नींद आपकी हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है
सही हेल्थ के लिए अच्छी क्वॉलिटी की नींद काफी जरूरी होती है. जब आप सो रहे होते हैं, तो आपका शरीर रिपेयरिंग कर रहा होता है. ग्रोथ और दिमाग के विकास के लिए शिशुओं, छोटे बच्चों और किशोरों को भरपूर नींद की जरूरत होती है. नींद की कमी से स्ट्रोक, दिल का दौरा और डायबिटीज का खतरा काफी ज्यादा बढ़ सकता है।
लेफ्ट साइड सोना-
लेफ्ट साइड में सोने से खाना और एसिड लोअर एसोफेजियल स्फिंक्टर से अलग हो जाता है, इसका मतलब है एसोफैगस में कम एसिड वापिस आता है. साथ ही लेफ्ट साइड में सोने से हार्टबर्न और अपच का खतरा काफी कम होता है. प्रेग्नेंसी में हार्टबर्न काफी आम होता है. अगर आप प्रेग्नेंट हैं और लेफ्ट साइड में सोती हैं तो इससे ब्लड फ्लो इंप्रूव होता है और किडनी अच्छे से काम करती हैं.
साइड स्लीपिंग के फायदे-
जिन लोगों को हार्टबर्न, एसिडिटी और गैस की समस्या रहती हैं उनके लिए साइड स्लीपिंग काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
बैक स्लीपिंग से बचें-
अगर आप पीठ के बल सोते हैं तो यह पोजीशन सोने के लिए सही नहीं मानी जाती. अगर आपको हार्टबर्न और एसिटिडी की समस्या रहती है तो पीठ के बल सोने से आपकी यह समस्या और भी बढ़ सकती हैं. इस पोजीशन में सोने से एसिड आपके गले में आ सकता है जिससे आपको गले में जलन का एहसास हो सकता है।
इसके अलावा, अगर आपको स्लीप एपनिया है, तो पीठ के बल सोने से आपकी यह समस्या और भी बढ़ सकती है. स्लीप एपनिया में सोते वक्त व्यक्ति की सांस बार-बार रुकती और चलती है।
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